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सीआईए की विषबेल षड्यंत्र का हिस्सा

भारत एक स्वतंत्र एवं संप्रभुता संपन्न देश है। इसका अपना एक लिखित संविधान है। लोकतांत्रिक देश होने के कारण संविधान ने यहाँ के नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार दिए हैं।

Update: 2018-06-18 10:54 GMT

- राजीव गुप्ता

'राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि बिगाड़ने का प्रयास यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है। संघ की छवि बिगाड़ने का प्रयास इससे पहले भारत में भी हो चुका है। संप्रग 2 के कार्यकाल में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भगवा आतंकवाद, हिन्दू आतंकवाद कह कर उस पर प्रतिबंध लगाने का असफल प्रयास किया गया था और उसी तत्कालीन भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री तथा कालांतर में भारत के पूर्व राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने अभी हाल में ही नागपुर में लगे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष के प्रशिक्षण शिविर के समापन में मुख्य अतिथि के रूप में न केवल भाग लिया, अपितु वहाँ पर संघ की जमकर तारीफ भी की और वहाँ की अतिथि पुस्तक में संघ संस्थापक केशवराव बलिराम हेडगेवार को भारत का महान सपूत लिखा ।'

भारत एक स्वतंत्र एवं संप्रभुता संपन्न देश है। इसका अपना एक लिखित संविधान है। लोकतांत्रिक देश होने के कारण संविधान ने यहाँ के नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार दिए हैं। नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होने पर वह संविधान द्वारा प्रदत्त न्यायिक व्यवस्था से न्याय प्राप्त कर सकता है। अपनी इसी लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत स्वतंत्रता पश्चात् से लेकर अभी तक सैकड़ों संवैधानिक संशोधनों के साथ यह देश चल रहा है। आवश्यकता पड़ने पर भारत ने समय-समय पर देश की एकता व अखंडता के लिए खतरा बने कई भारतीय संगठनों को प्रतिबंधित भी किया है, लेकिन विश्व हिन्दू परिषद, वर्ष 1964 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक न तो उसे और न ही उसके अनुषांगिक संगठन बजरंग दल को भारत के लिए खतरा बने विभिन्न संगठनों की सूची में भारत सरकार द्वारा रखा गया और न ही उस पर प्रतिबंध लगाया। संविधान के दायरे में बजरंग दल द्वारा हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने को भारत अपने लिए खतरा नहीं मानता है।

सबसे बड़ी हास्यास्पद स्थिति यह है कि अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए एक तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राष्ट्रवादी संगठन बताता है और दूसरी तरफ विश्व हिन्दू परिषद तथा उसके अनुषांगिक संगठन बजरंग दल को उग्रवादी, आतंकवादी सूची में रखता है। सनद रहे कि 1925 में जन्मी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नामक संस्था का ही एक अनुषांगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद है। अमेरिका में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद की शाखाएँ विभिन्न नामों से चलती हैं। तो क्या यह मान लिया जाए कि अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए ने भूलवश संघ परिवार पर निशाना साधा है? निश्चित रूप से नहीं। वर्तमान समय में संसार के फलक पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोई अपरिचित संगठन नहीं रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन और संसार के सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में स्थापित भारतीय जनता पार्टी की सरकार भारत में बनी है और उस सरकार की अगुआई विश्व प्रसिद्ध राजनेता नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं तथा नरेन्द्र मोदी की विश्व प्रसिद्ध लोकप्रियता किसी भी देश, संगठन से छुपी हुई नहीं है। अत: यह स्पष्ट है कि अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए द्वारा संसार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि धूमिल करने का यह कुत्सित प्रयास है और अप्रत्यक्ष रूप से नरेन्द्र मोदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कठघरे में खड़ा करने की साजिश का हिस्सा है।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि बिगाड़ने का प्रयास यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है। संघ की छवि बिगाड़ने का प्रयास इससे पहले भारत में भी हो चुका है। संप्रग 2 के कार्यकाल में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भगवा आतंकवाद, हिन्दू आतंकवाद कह कर उस पर प्रतिबंध लगाने का असफल प्रयास किया गया था और उसी तत्कालीन भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री तथा कालांतर में भारत के पूर्व राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने अभी हाल में ही नागपुर में लगे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष के प्रशिक्षण शिविर के समापन में मुख्य अतिथि के रूप में न केवल भाग लिया, अपितु वहाँ पर संघ की जमकर तारीफ भी की और वहाँ की अतिथि पुस्तक में संघ संस्थापक केशवराव बलिराम हेडगेवार को भारत का महान सपूत लिखा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विशुद्ध रूप से एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है तथा इसने अपने कार्यों का विभाजन कर अनेक स्वतंत्र अनुषांगिक संगठनों को खड़ा किया है।

संघ के सभी अनुषांगिक संगठन अपने-अपने कार्य क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं। उनकी अपनी स्वतंत्र सांगठनिक संरचना है तथा वे अपने सभी निर्णय स्वतंत्र रूप से लेते हैं। इसी कड़ी में विश्व हिन्दू परिषद भी है। इसका कार्य मुख्य रूप से देश की विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेना, देश में व्याप्त छुआछूत की भावना को समाप्त करने के लिए सामाजिक समरसता के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना, निर्धन बच्चों को सेवा विभाग के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना, वनवासी क्षेत्रों में रहने वाले वनवासी लोगों की एकल विद्यालय के माध्यम से सेवा करना, देश से विलुप्त होती जा रही संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करने हेतु वेद विद्यालयों के माध्यम से बच्चों को वेद पाठ करना सिखाना, देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गौ संवर्धन को बढ़ावा देना, व्यक्ति में अदम्य साहस का निर्माण करने हेतु बजरंग दल के माध्यम से हथियारों का प्रशिक्षण देना इत्यादि शामिल हैं।

हिन्दू धर्म में उल्लेखित अधिकांश हिन्दू देवी, देवता शस्त्रधारी हैं। अमेरिका सहित अनेक देशों में भी हिन्दू मन्दिर हैं और उन मन्दिरों में विराजमान हिन्दू देवी-देवता भी शस्त्रधारी हैं तो क्या इसका अर्थ यह लगाया जाय कि भारत के हिन्दू देवी, देवता भी उग्रवादी, आतंकवादी की श्रेणी में आते हैं, क्योंकि वे देवी, देवता शस्त्रधारी हैं? दरअसल अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए द्वारा उठाए गए इस दुर्भाग्यपूर्ण कदम के निहितार्थ को हमें समझना चाहिए। अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए के माध्यम से वहाँ के विद्वानों ने कोई आज नया कार्य नहीं किया है, अपितु भारत के प्रति ये उनकी अपनी पुरानी चालों की ही निरंतरता है। यदि हम इतिहास के पन्नों को पलटें तो पायेंगे कि उनके द्वारा भारत को तोड़ने की जडेंÞ भारत के इतिहास में विद्यमान हैं।

सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात से ही अंग्रेजों ने भारत को धर्म के आधार पर तोड़ने का प्रयास शुरू किया, क्योंकि अंग्रेजों के खिलाफ लड़े गए उस युद्ध में हिन्दू-मुस्लिम एकता की झलक अंग्रेजों को पहली बार देखने को मिली थी। कालान्तर में, उन्होंने 1885 में स्थापित कांग्रेस पार्टी को ब्राह्मणवादी संगठन बताकर मुसलमानों को उनके विरोध में खड़ा करने हेतु 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना करवाई और उनकी इसी विभाजक नीति का ही परिणाम कालान्तर में भारत, पाकिस्तान विभाजन के रूप में हुआ। इसी ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को तो राष्ट्रवादी संगठन बताया और उसके ही अनुषांगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद तथा बजरंग दल को उग्रवादी, आतंकवादी बताया। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को तोड़ने के लिए अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए की विषबेल रूपी एक चाल है और अप्रत्यक्ष रूप से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की एक साजिश है, क्योंकि वे भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही अनुषांगिक संगठन भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं।


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