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दशहरा पर रावण, कुंभकरण व मेघनाद के नहीं कोरोना के पुतले जलेंगे

25 अक्टूबर को दशहरा का त्यौहार

Update: 2020-10-10 01:00 GMT

ग्वालियर, न.सं.। दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। इस दिन बुराई के रूप में रावण, कुंभकरण व मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है। लेकिन इस बार दशहरा पर कोरोना बीमारी के पुतलों का दहन किया जाएगा क्योंकि इस बीमारी ने संपूर्ण दुनियां को हिलाकर रख दिया है। लोग अब इससे मुक्ति चाहते हैं। वहीं कारीगरों ने भी दशहरा के लिए कोरोना के पुतलों का निर्माण शुरू कर दिया है। इनकी कीमत 100 से लेकर 5000 रुपए तक है। इन पुतलों को आर्डर पर तैयार किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के कारण प्रशासन ने बड़े आयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस कारण शहर में दशहरा के दिन छत्री मैदान, दीनदयाल नगर एवं मुरार आदि क्षेत्र में विशाल पुतलों का दहन नहीं किया जाएगा। इस बार पुतलों का दहन गली, मौहल्लों, कॉलोनियों और चौराहों पर सबसे अधिक होगा। इसको लेकर शहरवासी काफी उत्साहित हैं।

कोरोना पुतलों के आर्डर आना शुरू हो गए हैं

छप्परवाला पुल पर पुतले आदि बनाने का काम एक बड़े स्तर पर किया जाता है। इस बार दशहरा के लिए इन कारीगरों पर कोरोना संक्रमण के पुतले बनाने के अच्छे-खासे ऑर्डर आ रहे हैं। कारीगरों द्वारा 1 से 25 फीट तक के पुतले बनाए जा रहे हैं। दशहरा वाले दिन इन पुतलों की अच्छी खासी बिक्री होगी। इस काम को करने के लिए 8 से 10 परिवारों के लोग लगे हुए हैं।

इनका कहना है

'हम 35 वर्ष से पुतले बना रहे हैं। लेकिन इस बार कोरोना के पुतले बनाने के आर्डर सबसे अधिक आ रहे हैं। लोग इसे दहन करके इस बीमारी से मुक्ति चाहते हैं। पुतले की कीमत 100 से लेकर 5000 रुपए तक है।

लाखन सिंह दौहरे, कारीगर

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