शव विच्छेदन गृह मामला, CMHO ने चिकित्सक देने से किया इनकार

- जिला चिकित्सालय में बढ़ रहा विवाद, सिर्फ मुरार थाना परिक्षेत्र के होंगे

Update: 2021-07-18 00:30 GMT

ग्वालियर/वेब डेस्क। जिला अस्पताल में बन कर तैयार हो चुका शव विच्छेदन (Post Mortem) गृह का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। शव विच्छेदन शुरू करने के लिए अब सीएमएचओ व सिविल सर्जन के बीच विवाद छिड़ गया है। इसी के चलते अब तय किया गया है कि जिला अस्पताल में सिर्फ मुरार थाना परिक्षेत्र के ही शवों के शव विच्छेदन किए जाएंगे। जयारोग्य चिकित्सालय के शव विच्छेदन गृह में अधिक भार होने के चलते मुरार जिला अस्पताल में शव विच्छेदन गृह का निर्माण कराया गया था, जिसका कार्य छह माह पूर्व पूर्ण भी हो चुका है। जिसको लेकर गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के प्रभारी अधिष्ठाता डॉ. समीर गुप्ता ने पिछले दिनों प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट से समीक्षा बैठक में शिकायत करते हुए कहा था कि मुरार में शव विच्छेदन नहीं किए जा रहे हैं।

इस पर मंत्री ने दो दिन के अंदर शव विच्छेदन गृह चालू करने के निर्देश जिलाधीश को दिए थे। जिसको लेकर सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने भी सिविल सर्जन डॉ. डी.के. शर्मा को पत्र लिखकर शव विच्छेदन शुरू करने की बात कही। जिसके बाद सिविल सर्जन डॉ. शर्मा द्वारा शहरी क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थाओं में पदस्थ चिकित्सा अधिकारियों की ड्यूटी शव विच्छेदन गृह में लगाने के लिए चर्चा की गई, जिस पर सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने स्वास्थ्य संस्थाओं के चिकित्सकों को देने से इनकार कर दिया और कहा कि जिला अस्पताल में पदस्थ चिकित्सा अधिकारियों से ही शव विच्छेदन कराया गया। शनिवार को जिला पंचायत सीईओ किशोर कन्यालय के साथ बैठक भी हुई। जिसमें सिविल सर्जन ने बताया कि सीएमएचओ द्वारा चिकित्सक देने से इनकार कर दिया गया है और जिला अस्पताल में पुरुष चिकित्सा अधिकारी महज दस है। इसके अलावा महिला चिकित्सा अधिकारी हैं, जिनसे शव विच्छेदन नहीं करा सकते। इसलिए सिविल सर्जन ने सीईओ को बताया कि वर्तमान में वह सिर्फ मुरार थाना परिक्षेत्र से आने वाले शवों के ही शव विच्छेदन कर सकते हैं। इसके बाद तय हुआ कि अभी अगले दो दिन में शव विच्छेदन गृह शुरू किया जाए।

अस्पताल का काम होगा प्रभावित

अगर शव विच्छेदन गृह के लिए शहरी क्षेत्र के संस्थाओं से चिकित्सकों को नहीं दिया जाता और जिला अस्पताल के चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई जाती है तो जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित होंगी, क्योंकि अगर किसी चिकित्सक की ड्यूटी शव विच्छेदन में लगाई जाती है तो मरीजों को उपचार के लिए परेशान होना पड़ेगा।

जयारोग्य का भार नहीं होगा कम

जिला अस्पताल में अगर सिर्फ मुरार थाने के ही शव विच्छेदन किए जाते हैं तो जयारोग्य का भार कम नहीं होगा। क्योंकि जयारोग्य में भिण्ड, मुरैना, दतिया सहित अन्य जगहों से भी शवों को लाया जाता है। ऐसे में चिकित्सकों का कहना है कि भोपाल व इंदौर में भी चिकित्सा महाविद्यालय है, लेकिन अधिकांश शव विच्छेदन वहां के जिला अस्पताल में ही होते हैं।

इनका कहना है

हमारे पास मेन पावर की कमी है। इसलिए वर्तमान में सिर्फ मुरार थाने से आने वाले मामलों के ही शव विच्छेदन किए जा सकते हैं। अगर हमे मेन पावर उपलब्ध कराया जाता है तो अन्य थाने के शव विच्छेदन भी शुरू कर दिए जाएंगे।

- डॉॅ. डी.के. शर्मा, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल

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