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उपचुनाव 2020 : डबरा में रोचक होगा मुकाबला, आमने - सामने रिश्तेदार

Update: 2020-09-15 10:46 GMT

ग्वालियर। प्रदेश में उपचुनावों के लिए चुनावी बिसात बिछ चुकी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल उपचुनावों में एक-दूसरे को पटखनी देने की तैयारी में जुट चुके है। इन उपचुनावों के माध्यम से जहां भाजपा सत्ता में मजबूती पाने की कोशिश कर रही है। वहीं कांग्रेस सत्ता में वापसी की राह तलाश रही है। 27  सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए भाजपा द्वारा कांग्रेस छोड़ कर आये पूर्व विधायकों को टिकट दिया जाएगा। इसके बाद कांग्रेस ने भी 15 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए है। जिसके बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के प्रत्याशी अपनी अपनी जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। 

ये है रिश्ता :

डबरा विधानसभा सीट पर दो रिश्तेदारों के बीच मुकाबला होने जा रहा है। यहाँ कांग्रेस ने सुरेश राजे को टिकट दिया है, जो तीन बार कि विधायक और मंत्री इमरती देवी को टक्कर देंगे। दोनों ही नेता पास में रिश्तेदार है। दरअसल, इमरती देवी की भतीजी की शादी सतीश राजे के भाई हरवंत राजे के बेटे मनोज राजे से हुई है। इसलिए वह उनकी समधन लगती हैं। इसलिए दोनों नेताओं के बीच रिश्तेदारी है। जिसकी वजह से यह मुकाबला और भी रोचक हो गया है। 

2013 में हो चुका आमना -सामना 

दोनों नेता इससे पहले साल 2013 में चुनावी मैदान में मुकाबला कर चुके हैं। जिसमें इमरती देवी ने सुरेश राजे को 32 हजार वोटों से हराया था। पिछले चुनावों में जब दोनों नेता आमने- सामने हुए थे। उस समय सुरेश राजे भाजपा उम्मीदवार और इमरती देवी कांग्रेस उम्मीदवार थी। लेकिन अब सियासी समीकरण बदल चुके है। अब इमरतीदेवी कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ चुकी है, वही सुरेश राजे कांग्रेस उम्मीदवार है।  

दरअसल, साल 2013 में सुरेश राजे इमरती देवी के खिलाफ भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। उस समय सुरेश राजे भाजपा प्रत्याशी एवं इमरती देवी कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में थीं। उस समय इमरती देवी ने सुरेश राजे को 32 हजार वोटों से हराया था। इसके बाद साल 2018 विधानसभा चुनावों के समय सुरेश राजे ने इमरतीदेवी के कहने पर कांग्रेस ज्वाइन की थी।

इमरती देवी : 

मजबूती 

क्षेत्र में मजबूत पकड़ 

तीन चुनावों में जीत का अनुभव 

वर्तमान में मंत्री पद 

चुनौती 

नई पार्टी 

जनता के सवाल 

सुरेश राजे :

मजबूती : 

विधानसभा चुनाव का अनुभव 

क्षेत्र में चर्चित

पार्टी का समर्थन 

चुनौती : 

पारंपरिक दल छोड़ना 

तीन बार की विधायक और मंत्री से मुकाबला 

कार्यकर्ताओं एवं जनता का विश्वास जितना 

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