मुनीम की टोपी ने खोला व्यापारी से लाखों की लूट का राज. पांच दबोचे

तीन की तलाश मे टीमें जुटी

Update: 2022-12-01 00:30 GMT

ग्वालियर, न.सं.। डबरा में गल्ला कारोबारी रामसेवक बजाज के साथ लूटपाट करने के दौरान एक बदमाश के हाथ से मौके पर ही उसकी टोपी छूट गई थी। टोपी लगाने का शौकीन मुनीम था और हर हर समय टोपी लगाए रहता था लेकिन घटना वाले दिन वह टोपी एक बदमाश ने पहन ली थी। टोपी से मुनीम की पहचान होते ही पुलिस की टीमें सक्रिय हो गई और उसकी घेराबंदी करना शुरु कर दी। मुनीम के पकड़े जाने के बाद उसके चार अन्य साथियों को भी दबोच लिया। पकड़े गए बदमाशों के पास से पुलिस ने सात लाख रुपए नगदी और लूटपाट में शामिल मोटर साइकिल बरामद कर ली है।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेकश डी श्रीनिवास वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि 22 नवम्बर को ठाकुर बाबा रोड डबरा में व्यापारी रामसेवक बजाज के साथ लूट करने वाले बदमाश विकास बाल्मीक निवासी पिंटो पार्क उसके भाई हरिओम, विजय अहिरवार निवासी भिंड, अनिल रावत निवासी भितरवार संतोष चौहान को पकडक़र 35 लाख रुपए की लूट का पर्दाफाश कर दिया। पुलिस ने पकड़े गए पांचो बदमाशों के कब्जे से 7 लाख रुपए और घटना में इस्तेमाल की गई मोटर साईकिल को बरामद कर लिया है। रामसेवक को जब विकास बाल्मीक, प्रताप और राजवीर उर्फ चश्मा गोली मारकर लूटपाट कर रहे थे उस समय में मुनीम पुष्पेन्द्र चौहान की टोपी प्रताप के पास थी। लूटपाट के दौरान प्रताप से टोपी मौके पर ही गिर गई थी और पांच कारतसू भी घटनास्थल पर ही छूट गए थे। टीमें लगातार बदमाशों की पहचान के प्रयास में जुटी थीं। जैसे ही एक बदमाश के हाथ में ओरेंज रंग की टोपी देखी पुलिस का माथा ठनक गया और फिर डबरा शहर में लगे सीसीटीवी खंगाले तो वही टोपी पुष्पेन्द्र चौहान लगाए घूमता हुआ कई बार कैद हुआ था। जैसे ही पुष्पेन्द्र चौहान की टोपी की पहचान हुई पुलिस उसके पीछे लग गई और पुलिस घटना का खुलासा होता चला गया। पुलिस पकड़ से अभी संतोष चौहान, प्रताप और राजवीर नहीं हैं जिनकी तलाश में टीमें दबिश दे रही हैं।

किसका क्या किरदार एक नजर में

* विकास बाल्मीक: विकास बाल्मीक ने रामसेवक से नोटो से भरा ैबैग छीना था जब वह नहीं छोड़ा तो गोली उसने ही चलाई थी। मोटर साइकिल पर सबसे पीछे विकास ही बैठा था।

* प्रताप: घटना के समय हेलमेट लगाकर मोटर साईकिल चला रहा था। प्रताप ने लूटपाट के बाद गाड़ी को गिर्जोरा के जंगल कटोड़ा की ओर ले गया था।

* राजवीर उर्फ चश्मा: राजवीर गाड़ी पर बीच में बैठा था। राजवीर और विकास ने लूट की घटना को अंजाम दिया था। जबकि प्रताप गाड़ी चला रहा था। नोटों से भरा बैग रास्ते में राजवीर ही पकड़ा था।

* हरिओम बाल्मीक व विजय अहिरवार: दोनों ने बीएसएफ कॉलोनी ग्वालियर से अपाचे मोटर साईकिल चोरी करवाने में भूमिका निभाई थी। जबकि गाड़ी राजवीर ने चोरी की थी।

* अनिल रावत: अनिल ने अपने दोस्त बदमाश संतोष चौहान को कर्ज होने पर लूट की योजना के बारे में बताया। उसमें मुनीम पुष्पेन्द्र चौहान को शामिल किया। घटना के समय दोनों बैंक के बाहर थे और घटनास्थल पर भी मौजूद थे।

* पुष्पेन्द्र चौहान: पन्द्रह दिन पहले से ही मुनीम रैकी करने लगा था। व्यापारी की पूरी लोकेशन और बैंक से कब कितनी रकम निकालेगा जानकारी बदमाशों को दी।

अनिल के कर्ज मे रची पूरी लूट की कहानी

अनिल पर 25 लाख रुपए का कर्ज हो गया था। अनिल रावत एक प्रकरण में डबरा जेल में बंद था वहां पर वर्ष 2021 में संतोष चौहान से मुलाकात हो गई। पहचान होने पर जब दोनों का आमना सामना हुआ तो अनिल ने संतोष को अपनी पीड़ा बताई। संतोष अनिल मिलकर पुष्पेन्द्र चौहान के पास गल्लामंडी में पहुंचे। यहां पर तीनों ने लूट की पूरी कहानी रची और फिर हरिओम बाल्मीक को बताया। हरिओम का भाई विकास बदमाश है। विकास ने अपने साथियों के साथ मिलकर घटना कर डाली।

21 नवम्बर को बैग में कम रकम देकर टाली योजना

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ने बताया कि तीनों बदमाश रामसेवक को लूटने के लिए 21 नवम्बर को बैंक के बाहर पहुंच गए। उस दिन एक करोड़ रुपए बैंक से निकाला। बड़े नोट होने के कारण बैग में कम स्थान में आ गए तो पुष्पेन्द्र ने बोला कि रकम आज कम हैं। इसलिए लूट की योजना अगले दिन के लिए टाल दी। 22 नवम्बर को रामसेवक 35 लाख रुपए निकालने में बैंक में छोटे नोट मिलने पर बैग भर गया। पुष्पेन्द्र चौहान ने इशारा कर दिया कि माल आज ज्यादा है।

आठ दिन पहले लिया कमरा

विकास बाल्मीक, प्रताप व राजवीर ने डबरा सांई सिटी में किराए का कमरा लिया और वहां पर रहने लगे। मकान मालिक से बोले के कि वह रेत का काम करते हैं।

दूसरे के फोन से करते थे बात

जब भी बदमाशों को फोन लगाना होता था वह या तो अपने परिजन या भाई के फोन का इस्तेमाल करते थे। अनिल रावत व संतोष को कभी अपने फोन से बात नहीं की। दोनों भी बदमाशों से अपने फोन से बात नहीं करते थे।

मुनीम एसडीओपी की गाड़ी घुमता था

मुनीम पुष्पेन्द्र चौहान पूर्व में डबरा एसडीओपी रह चुके पुलिस अधिकारी के साथ गाड़ी में घूूमता था और पुलिस के लिए मुखबिरी करता था। संतोष चौहान का पिता गल्ला मंडी में पल्लेदारी करता है।

लूट के बाद दस लाख रुपए चुराए

विकास प्रताप व राजवीर ने लूट करने के बाद 35 लाख में से दस लाख चोरी कर लिए और साथियों को बताया कि 25 लाख रुपए ही बैग में निकले हैं। जबकि बंटवारा सात सात लाख रुपए का होना तय हुआ था। गिर्जोरा के जंगल में रकम का बंटवारा हुआ था।

ऐसे होना था बंटवारा

विकास बाल्मीक को अपने हिस्से में से एक एक लाख रुपए अपने भाई हरिओम और विजय अहिरवार को देने थे। जबकि अनिल रावत को दो लाख रुपए पुष्पेन्द्र चौहान को देना था। शेष रकम अन्य बदमाशों में बंटना थी।

18 नवम्बर तक देखे फुटेज

एएसपी ग्रामीण जयराज कुबेर ने बताया कि बदमाशों की पहचान के लिए टीमें लगातार शहर के सीसीटीवी खंगाल रही थी। 18 नवम्बर तक के फुटेज चेक करने पर सफलता मिली। कड़ी मेहनत के बाद बदमाशों की पहचान करना आसान हुआ।

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