467 से अधिक पेड़ों का किया ट्रांसप्लांट, उनमें से 95 प्रतिशत सूखकर हुए खत्म

स्मार्ट सिटी और नगर निगम शहर को विकसित करने के लिए निर्माण कार्य कर रहा है| ,ऐसे में जीन पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया जा रहा है उनमे से 95 प्रतिशत सूख कर खत्म हो रहे हैं

Update: 2023-07-13 14:13 GMT

ग्वालियर। शहर के विकास के लिए बड़ी-बड़ी इमारतें और सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी और नगर निगम शहर को विकसित करने के लिए निर्माण कार्य कर रहा है। लेकिन इन सब में पर्यावरण को नुकसान भी पहुंच रहा है। ग्वालियर आमखो रोड़,थाठीपुर आदि क्षेत्रों में सड़क और इमारतें बनाई गई है। यहां लगे सौ साल पुराने पेड़ों को काटकर उन्हें ट्रांसप्लांट करके जीवित रखने का प्रयास किया गया। लेकिन निगम असफल रहा। पेड़ों को काटकर सिरोल पहाड़ी और अन्य जगहों पर विस्थापित किया लेकिन उनमें से 95 प्रतिशत सूखकर खत्म हो चुके हैं। ऑक्सीजन दायक यानि जीवन देने वाले पेड़ों को खत्म कर दिया जा रहा है।

ट्रांसप्लांट करके पेड़ों को नही दे पा रहे जीवन-

थाठीपुर पुनर्घनत्वीकरण प्रोजेक्ट में 79 पेड़ काटे और 392 पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। वहीं स्मार्ट सिटी ने सड़क निर्माण के चलते 70 पेड़ और नगर निगम ने हालहि में 04 पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया। लेकिन उनमें से 95 प्रतिशत पेड़ सूख कर खत्म हो चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि निगम पेड़ों को न काटते हुए सड़कों का निर्माण करे। क्योंकि एक पेड़ का ट्रांसप्लांट में 30 से 40 हजार का खर्चा आता है। अगर इतना खर्च करके पौधारोपण करे तो पर्यावरण के साथ जीवन भी बचा सकेंगे।

यह पेड़ किए ट्रांसप्लांट-

पीपल,नीम,गुलमोहर,आंवला,करंज आदि

पेड़ कटाई के बाद पौधारोपण से कर रहे भरपाई-

थाठीपुर पुनर्घनत्वीकरण प्रोजेक्ट के चलते 392 पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया जाना है। हाईकोर्ट ने काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए उनका 10 गुना पौधारोपण करने के आदेश दिए थे। इस दौरान 79 पेड़ का 10 गुना 790 और 392 पेड़ का 10 गुना 3920 पौधे लगाने होंगे।

ट्रांसप्लांट पेड़ों की खास बातें-

  • -कम उम्र के पेड़ों की तुलना में ज्यादा उम्र के पेड़ जल्दी पनपते हैं।
  • -जड़ व तना डैमेज होने से छोटी उम्र के पेड़ नष्ट हो जाते हैं।
  • -छोटे पेड़ों पर वातावरण बदलने का भी दुष्प्रभाव होता है।
  • -ट्रांसप्लांट से पहले विशेष तौर से जमीन तैयार की जाती है।
  • -पेड़ पनप सकें,इसलिए जड़ पर विशेष प्रकार का लेप लगाया जाता है,ताकि उसे कीट नष्ट न करें।

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