जब दुनिया में कोविड का हाहाकार मचा था, तब आयुर्वेद ने कमाल कर दिया। यह कहना है मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का। वे लाल परेड मैदान में अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे।
इस दौरान उन्होंने आयुर्वेद को कायाकल्प की ओर ले जाने वाला बताते हुए कहा कि कोविड के समय जब दुनिया के सामने काढ़ा आया, तो इसने ऐसा कमाल किया कि अखाड़ा कम पड़ गया।
आयुर्वेद केवल इलाज नहीं, जीवनशैली है
इससे पहले उन्होंने चारों आश्रमों के बारे में चर्चा करते हुए जंगल से मनुष्य के प्रेम और ऋषि परंपरा का बखान किया। साथ ही जड़ी-बूटियों की जानकारी देते हुए भारतीय जीवनचर्या में उनकी उपयोगिता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद काया कल्प की ओर ले जाता है। प्रकृति के वरदान वाली सामग्रियां हमारे खाद्य में शामिल हैं, जिससे उम्र बढ़ती है। मेडिकल साइंस अपनी जगह ठीक है, लेकिन जड़ी-बूटियों का कोई तोड़ नहीं हो सकता।
इस अवसर पर वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार, विधायक भगवानदास सबनानी, नगर निगम अध्यक्ष, वनबल प्रमुख बी.आर. अंबाड़े, लघु वनोपज संघ की प्रबंध संचालक समिता राजौरा और प्रफुल्ल फुलझले प्रमुख रूप से मौजूद थे।
अब उज्जैन में भी लगेगा वन मेला
वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने शुभारंभ समारोह में बताया कि इसकी घोषणा जल्द की जाएगी। वन मेले में 200 आयुर्वेदिक पद्धति के चिकित्सक एवं विशेषज्ञ नि:शुल्क चिकित्सीय परामर्श देंगे। वहीं लघु वनोपज संघ की प्रबंध संचालक समिता राजौरा ने विश्वास जताया कि यह अंतर्राष्ट्रीय 11वां वन मेला एक बार फिर लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा।
मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे, जिनमें ऑर्केस्ट्रा, नुक्कड़ नाटक, लोक नृत्य, स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए चित्रकला, फैंसी ड्रेस और गायन प्रतियोगिताएं शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा
• एक साल में 8 वेलनेस सेंटर खोले गए हैं।
• लघु वनोपज संघ की न्यूनतम समर्थन मूल्य में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
• 2026 में नौरादेही में रानी दुर्गावती के नाम से अभ्यारण्य बनेगा।
• सागर जिले में भीमराव अंबेडकर अभ्यारण्य खुलेगा।
• कोबरा के बाद जिराफ लाने पर भी विचार किया जा रहा है।
23 दिसंबर तक चलेगा मेला
इस बार मेला ‘समृद्ध वन, खुशहाल वन’ की थीम पर आयोजित किया जा रहा है, जो 23 दिसंबर तक चलेगा। मेले में 24 राज्यों की जड़ी-बूटियों सहित 350 स्टॉल लगाए गए हैं। इनमें 10 शासकीय स्टॉल, 24 अन्य राज्यों के स्टॉल, 16 प्रदर्शनी स्टॉल, 136 निजी स्टॉल और फूड स्टॉल शामिल हैं।
मेले में प्रदेश के जिला यूनियन, वन, वनधन केंद्र, जड़ी-बूटी संग्राहक, उत्पादक, आयुर्वेदिक औषधि निर्माता, पारंपरिक भोजन सामग्री के निर्माता एवं विक्रेता अपने उत्पादों का प्रदर्शन और विक्रय करेंगे। यहां लोग दाल-पानिया और गोंडी जैसी कई डिशेज का भी लुत्फ उठा सकेंगे। इसके अलावा 50 ओपीडी स्टॉल और एक किड्स जोन भी होगा।
ये कार्यक्रम होंगे
• 17 दिसंबर की शाम – डिंडौरी के पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति
• 18 दिसंबर की शाम – ऑर्केस्ट्रा, अंचल शर्मा ग्रुप
• 19 दिसंबर की शाम – विरासत सूफी की म्यूजिकल प्रस्तुति
• 20 दिसंबर – ‘एक शाम वन विभाग के नाम’ (फॉरेस्ट मेलोडी) सरगम म्यूजिकल ग्रुप द्वारा
• 21 दिसंबर की शाम – ख्याति प्राप्त सिंगर नीरज श्रीधर (बॉम्बे वाइकिंग्स) की प्रस्तुति
• 22 दिसंबर की शाम – मानसरोवर द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम
• 23 दिसंबर – झाबुआ का पारंपरिक नृत्य
अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाएं भी होंगी
मंत्री अहिरवार ने बताया कि वन मेले में 19 एवं 20 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाएगा। इसमें देश के 17, नेपाल के 2 और भूटान के 1 प्रतिनिधि भाग लेंगे। कार्यशाला का आयोजन आईआईएफएम के समन्वय से किया जाएगा।