मोबाइल में डूबे पैरेंट्स को जगाने निकले मासूम, तख्ती में लिखा इमोशनल सवाल

चित्रकूट के एक स्कूल में बच्चों ने तख्तियों पर भावनात्मक संदेश लिखकर मोबाइल में डूबे अभिभावकों को जागरूक किया। स्कूल की यह अनोखी पहल गांव में सराहना पा रही है।

Update: 2025-12-11 13:24 GMT

चित्रकूटः वर्तमान समय में मोबाइल फोन की बढ़ती लत से बच्चों और परिजनों के बीच बातचीत कम होने लगी है। यह दोनों के बीच अदृश्य दीवार बन गया है। बड़ों में मोबाइल का बढ़ता उपयोग अब समाजिक चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसी मुद्दे को लेकर चित्रकूट के ग्राम पंचायत पालदेव के पौसलहा गांव स्थित नवीन सरस्वती ज्ञान सागर स्कूल ने एक अनोखी पहल की है। स्कूल में प्रार्थना के समय कई अभिभावक मोबाइल में व्यस्त दिखे, तो नन्हें बच्चों ने तख्तियों पर संदेश लिखकर उन्हें जागरूक करने की कोशिश की।

बच्चों ने पोस्टरों पर लिखा- 'मम्मी-पापा! जैसा हमें बनाएंगे, हम वैसा ही बनेंगे… मोबाइल छोड़कर हमारा साथ दीजिए।' यह मासूम अपील गांव में चर्चा का विषय बनी हुई है। इसके साथ ही समाज में तेजी से बढ़ती डिजिटल दूरी पर करारा संदेश भी देती है।

मोबाइल ने बढ़ाई दूरियां

शिक्षक अशोक के मुताबिक, पहले माता-पिता बच्चों को कहानियों, लोरियों और संवाद के माध्यम से सीख देते थे। लेकिन मोबाइल ने रिश्तों में दूरी बढ़ा दी है। अब मोबाइल की व्यस्तता ने रिश्ते की गर्माहट को कम कर दिया है। बच्चों के अनुसार उन्हें माता-पिता की उपस्थिति और संवाद की जरूरत है, न कि सिर्फ उनकी कमाई या सुविधाओं की।

परीक्षा के खराब रिजल्ट की चौंकाने वाली वजह आई सामने

स्कूल के प्रधानाध्यापक विद्या सागर पटेल ने बताया कि हाल की अर्धवार्षिक परीक्षा में कमजोर प्रदर्शन के बाद समीक्षा की गई, तो पता चला कि बच्चों और अभिभावकों दोनों में मोबाइल की लत बढ़ रही है। इसी वजह से स्कूल ने यह जागरूकता अभियान शुरू किया।

चित्रकूट के स्कूल की अनोखी पहल

यह पहल गांव में सराही जा रही है और अभिभावकों ने इसे एक सकारात्मक संदेश के रूप में स्वीकार भी किया है। बच्चों की यह भावनात्मक मुहिम परिवारों को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या मोबाइल स्क्रीन, मासूमों की मुस्कान से ज्यादा जरूरी हो गई है?

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