झाबुआ में इमरान चला रहा था ‘राना’ के नाम से अवैध क्लिनिक, प्रशासन ने किया सील
झाबुआ जिला मुख्यालय पर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद निवासी इमरान पिछले तीन-चार वर्षों से ‘राना’ नाम से अवैध और फर्जी क्लिनिक चला रहा था। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली तो कार्रवाई की गई। कार्रवाई के दौरान लाइलाज बीमारियों का इलाज करने वाले कथित डॉक्टर के पास से कई फर्जी डिग्रियां मिलीं और पहचान के नाम पर केवल एक आधार कार्ड बरामद हुआ।
आधारकार्ड से हुई पहचान
स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. देवेंद्र भायल और चिकित्सा अधिकारी डॉ. विजेंद्र स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मुस्लिम बस्ती हुड़ा पहुंचे। यहां डॉ. राणा के दवाखाने पर इलाज कर रहे कथित डॉक्टर से क्लिनिक के पंजीयन से संबंधित दस्तावेज मांगे गए, जो वह प्रस्तुत नहीं कर सका। जब उससे मेडिकल डिग्री मांगी गई तो अलग-अलग नामों से तीन–चार डिग्रियां मिलीं। पहचान के दस्तावेज के रूप में एक आधार कार्ड मिला, जिस पर युवक की पहचान गाजियाबाद निवासी इमरान के रूप में दर्ज थी।
कार्रवाई के दौरान मुस्लिम बस्ती के लोग हुए इक्ट्ठे
कार्रवाई के दौरान मुस्लिम बस्ती के लोग बड़ी संख्या में एकत्र हो गए और कथित डॉक्टर के पक्ष में नरमी बरतने की सिफारिश करने लगे। अधिकारियों ने क्लिनिक सील कर इमरान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। कार्रवाई में स्वास्थ्य विभाग के जिला संचार अधिकारी प्रेम डेनियल और जिला स्टोर कीपर शंकर अजनार भी शामिल रहे।
आरोपी को गिरफ्तार कर लिया
थाना प्रभारी आर.सी. भास्करे ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों की रिपोर्ट पर किसी अन्य के नाम का उपयोग कर चिकित्सकीय कार्य करने पर प्रकरण दर्ज कर इमरान को हिरासत में लिया गया है।
ये फर्जी डिग्रियां मिलीं
स्वास्थ्य अधिकारी प्रेम डेनियल ने बताया कि क्लिनिक से मोहम्मद इरफान पिता मोहम्मद उस्मान, निवासी भोपाल की बीईएमएस, डीईएमएस (काउंसिल ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी सिस्टम ऑफ मेडिसिन), मुस्तकीम अहमद पिता मुकीम अहमद, निवासी उज्जैन की आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति की रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, तथा रिजवान अली पिता अहसन अली के दस्तावेज पुलिस को मुहैया कराए गए हैं।
यदि यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई होती, तो क्या पुलिस संबंधित जिम्मेदारों को भी आरोपी बनाती, या फिर कलेक्टर कार्यालय से निकलने वाले आदेशों की यूं ही अनदेखी होती रहती?
सुरक्षा चूक की आशंका
इस घटना ने एक बार फिर झाबुआ शहर में सुरक्षा चूक को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व में गोधरा कांड का आरोपी वर्षों तक नाम बदलकर फरारी काट चुका है। वहीं थांदला का तस्कर सलमान लाला झाबुआ में पता दर्ज कराकर पासपोर्ट बनवा चुका है, जिसका पता निवासी भोपाली फाटक, कस्बा सीहोर का मिला था।
इन तमाम दस्तावेजों के आधार पर प्रथम दृष्टया पकड़े गए इमरान की चिकित्सकीय योग्यता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। वह वर्षों से क्षेत्र में लोगों के उपचार के नाम पर उनकी जान से खिलवाड़ कर रहा था।
इसके बावजूद जिम्मेदारों पर कार्रवाई न होना अपने आप में सवाल खड़ा करता है। किरायेदारों और बाहरी लोगों की जानकारी देने के आदेश जारी होने के बाद भी क्या उनका ईमानदारी से पालन किया जा रहा है, इसे देखने वाला कोई नहीं है। इस तरह जिले की सीमा देश और प्रदेश के लिए मुसीबत बनने वालों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनती जाएगी, जो सुरक्षा की दृष्टि से एक बड़ी चूक है।