जेलों में बन रहे 500 नए VC यूनिट: बंदियों की सुरक्षित पेशी अब होगी बिना देरी, बिना भारी खर्च

Update: 2025-12-08 04:27 GMT

विचाराधीन बंदियों को अदालतों में पेश करने के लिए सरकारों को लंबे समय से भारी परिवहन व सुरक्षा खर्च उठाना पड़ता रहा है। पेशी के दौरान सुरक्षा घेरा, वाहन, पुलिस बल की उपलब्धता और कभी-कभी कानून-व्यवस्था संबंधी ड्यूटी के कारण पेशियों में देरी आम हो गई थी। इस जटिल समस्या के स्थायी समाधान के लिए केंद्र सरकार ने तकनीक का सहारा लेते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आधारित पेशी व्यवस्था को सुदृढ़ करने का निर्णय लिया। अब इसी प्रणाली को और व्यापक एवं आधुनिक बनाने के लिए युद्धस्तर पर काम जारी है। विशेष बात यह है कि इन यूनिटों के निर्माण में जेलों के भीतर प्रशिक्षण प्राप्त कुशल बंदियों का सहयोग लिया जा रहा है।

42 हजार से अधिक बंदियों के लिए हाई-टेक पेशी सिस्टम की शुरुआत

मध्यप्रदेश में वर्तमान में 133 जेलें हैं, जिनमें 42 हजार से अधिक बंदी न्यायिक प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं। इन बंदियों को राज्यभर की अलग-अलग अदालतों में प्रस्तुत किया जाता है। परंपरागत रूप से यह पूरा दायरा पुलिस विभाग पर निर्भर रहा है, जो न केवल समय-साध्य था बल्कि सुरक्षा जोखिम और बजटीय दबाव भी उत्पन्न करता था। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली के विस्तार से जेल विभाग अब पुलिस पर निर्भरता कम करने के लक्ष्य के बेहद करीब है। राज्य में पहले से 325 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग यूनिट संचालित हो रहे हैं। अब इनके अतिरिक्त 500 नए यूनिट स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे लगभग प्रत्येक अदालत के लिए समानांतर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।

जेल विभाग को होने वाला सीधा लाभ

भोपाल सेंट्रल जेल में पहले 13 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग यूनिट स्थापित थे। अब 24 नए यूनिट जोड़े जा रहे हैं, जिससे कुल संख्या 37 हो जाएगी। इसके लिए 33 लाख रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है और इनमें से आठ यूनिट तैयार हो चुके हैं। इन कक्षों के निर्माण में बंदियों की ही श्रम-सहायता ली गई है, जिससे विभाग को श्रमिक भुगतान पर आने वाला भारी खर्च बच गया है। यह कदम ‘रिफॉर्मेटिव जस्टिस’ की दिशा में एक उदाहरण भी बन रहा है, जिसमें बंदियों को कौशल विकास का अवसर मिलता है।

क्यों महसूस हुई बढ़ोतरी की जरूरत

मध्यप्रदेश में कुल 1700 न्यायालय हैं। कई बार एक ही अदालत में एक दिन में बड़ी संख्या में बंदियों की पेशी होने से व्यवस्थागत अड़चनें पैदा होती थीं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग यूनिट बढ़ने से अब प्रत्येक बंदी की पेशी समय पर, सुरक्षित एवं बिना बाधा के हो सकेगी। प्रत्येक यूनिट में एक आउटसोर्स कर्मी तथा एक जेल कर्मचारी तैनात किया जाता है, जो संपूर्ण प्रस्तुति प्रक्रिया को संचालित करता है।

भोपाल में कुख्यात अपराधियों की सुरक्षित पेशी का फायदा

भोपाल सेंट्रल जेल में कई गंभीर व संगठित अपराधों से जुड़े बंदी रखे गए हैं, जिनकी पेशियां मध्यप्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी होती हैं। इनमें प्रतिबंधित सिमी के 24, एचयूटी के 17, पीएफआई के 20, आईएसआई से जुड़े चार, जेएमबी के चार और दो नक्सली शामिल हैं। ऐसे खतरनाक अपराधियों को बार-बार अदालत ले जाना जोखिमपूर्ण और महंगा होता है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग व्यवस्था से इनकी सुरक्षित और त्वरित पेशी संभव हो पा रही है।

फैक्ट फाइल

जेल का प्रकार संख्या बंदियों की संख्या (पुरुष) बंदियों की संख्या (महिला)

केंद्रीय जेल 11 14,386 790

जिला जेल 41 9,351 758

खुली जेल 08 138 00

सब जेल 73 5,022 439

Similar News