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योगी मॉडल ने कम किया यूपी में कोरोना का दंश

नीति आयोग ने भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुर में सुर मिलाते हुए उत्तर प्रदेश के 'ट्रिपल टी' फार्मूले की प्रशंसा करते हुए कहा है कि राज्य के 97 हजार से अधिक गांवों में घर-घर जाकर कोरोना संक्रमित का पता लगाने और उन्हें आइसोलेट करने के महाभियान को अन्य राज्य भी दोहरा सकते हैं।

Update: 2021-05-17 05:12 GMT

देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में कोरोना के मामलों में कमी आ रही है। यह संभव हुआ है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अश्वमेधी प्रयासों से। ऐसा मानना है विश्व स्वास्थ्य संगठन का। संगठन ने उत्तर प्रदेश में कोरोना मरीजों का पता लगाने और संक्रमण फैलने तथा उसे रोकने के लिए उन्हें होम आइसोलेट करने के लिए चलाए गए 'ट्रिपल टी' ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट के महाभियान की सराहना की है। नीति आयोग ने भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुर में सुर मिलाते हुए उत्तर प्रदेश के 'ट्रिपल टी' फार्मूले की प्रशंसा करते हुए कहा है कि राज्य के 97 हजार से अधिक गांवों में घर-घर जाकर कोरोना संक्रमित का पता लगाने और उन्हें आइसोलेट करने के महाभियान को अन्य राज्य भी दोहरा सकते हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश ने ऑक्सीजन ट्रैकिंग के लिए एक ऐसा डैशबोर्ड तैयार किया है जिसके जरिए ऑक्सीजन टैंकरों की रियल टाइम लोकेशन पता लगा सकते हैं। इससे तत्परता के साथ और बेहतर ऑक्सीजन आवंटन संभव हो पाया है। पहले जहां 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की उपलब्धता हो पा रही थी, वहीं अब 1,000 मीट्रिक टन होने लगी है।

इसके अलावा संक्रमण से लोगों तथा बच्चों को बचाने और महामारी पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार के मॉडल को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सराहा है। बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेकर योगी सरकार के मॉडल के तहत बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए किए गए प्रबंधों का जिक्र करते हुए महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती? दरअसल, योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण से बच्चों का बचाव करने के लिये राज्य के हर बड़े शहर में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने का फैसला किया है। यूपी सरकार के इस फैसले को डॉक्टर बच्चों के लिए वरदान बता रहे हैं। इसके तहत यह बेड विशेषकर एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए होंगे। इनका साइज छोटा होगा और इनकी साइडों में रेलिंग लगी होगी, ताकि इन बच्चों को असुविधा न हो व ये गिरने से भी बचे रहें। गंभीर संक्रमित बच्चों को इन्हीं बेड पर इलाज और ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। बच्चों के प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह करुणा पहली बार सामने नहीं आई है। पूर्वांचल के बच्चों में होने वाली इंसेफेलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी से उन्हें बचाने के लिए उन्होंने जो अभियान चलाया उसे समूचा देश याद करता है। वर्तमान में इंसेफेलाइटिस से मृत्यु दर को 95% तक नियंत्रित किया गया है।

इसी प्रकार योगीआदित्यनाथ सरकार ने टीकाकरण को लेकर भी तेजी दिखाई है। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल के अनुसार, प्रदेश में टीकाकरण की प्रक्रिया बहुत तेजी से चल रही है। अब तक प्रदेश में 1,47,00,000 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। इनमें से 1,16,00,000 लोगों को पहली डोज और 31,00,000 लोगों को दूसरी डोज दी जा चुकी है। 31,00,000 लोगों को दोनों डोज मिल चुकी हैं। यह आंकड़ा 15 मई, 2021 तक का है। जहां एक ओर महाराष्ट्र, दिल्ली समेत देश के अन्य राज्यों में टीकाकरण अभियान लगभग ठप होता जा रहा है, वहीं उत्तर प्रदेश में कोरोना टीकाकरण की प्रक्रिया हर दिन तेज हो रही है और इसी कारण से उत्तर प्रदेश टीकाकरण के मामले में देश का प्रथम राज्य बन गया है। युवाओं के लिए योगी सरकार चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत टीकाकरण अभियान चला रही है। सबसे पहले प्रदेश के नौ सबसे संक्रमित जिलों में युवाओं का टीकाकरण अभियान शुरू किया गया और उसके बाद चरणबद्ध तरीके से जिलों की संख्या लगातार बढाई जा रही है। जल्द ही सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश को 18+ कोरोना टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाने वाला है।

हालांकि टीकाकरण को लेकर समाज के बड़े वर्ग में जो उदासीनता है वह विपक्ष की मूर्खतापूर्व बयानों एवं कुत्सित घटिया राजनीति के कारण है। ऑस्ट्रेलिया में पढ़े-लिखे एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2 जनवरी, 2021 को कोरोना के टीके को भाजपा का टीका बताते हुए इसे लगवाने से इनकार कर दिया। उनके इस बयान ने टीकाकरण को लेकर भारत सरकार के प्रयासों को बड़ी चोट पहुंचाई, क्योंकि अखिलेश यादव के बयान के बाद ऐसे प्रतिकूल बयानों की बाढ़ सी आ गई। उन्हीं की पार्टी के एक अल्पसंख्यक नेता ने कोरोना के टीके को मुस्लिम समाज के लिए घातक बताते हुए आपत्तिजनक बयान दिया। इससे यह संकेत गया कि कोरोना का टीका मुस्लिम समाज को नपुंसक बना रहा है। इतने समय के बाद भी उत्तर प्रदेश के गांवों में यह सोच हावी है, जिसके कारण टीकाकरण प्रभावित हो रहा है, किन्तु योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी लोगों की सोच बदलते हुए गांव-गांव तक टीकाकरण अभियान पहुंचा दिया है। मध्य प्रदेश की सीमा के पास ललितपुर जिले में स्थित बिरधा, बांसी, पाली, नाराहट में स्वास्थ्य विभाग की टीमें पहुंचकर जागरूकता अभियान चला रही हैं। इतना ही नहीं वहां के निवासियों की हरसंभव सहायता भी कर रही हैं। ऐसा अब उत्तर प्रदेश के हर जनपद में संभव हो पा रहा है और जिस प्रकार अब कोरोना के सक्रिय मामलों में कमी आ रही है। इससे यह कहा जा सकता है कि योगी मॉडल ने उत्तर प्रदेश में कोरोना के दंश को कम करने में सफलता प्राप्त की है।


(लेखिका जिया मंजरी, राजनीतिक विश्लेषक एवं राष्ट्रवादी विचारक हैं।)

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