जबलपुर की दादी अम्मा पुष्पा जोशी मुंबई सिने दुनिया की नई और लोकप्रिय होती अभिनेत्री हैं। वे 85 साल की उम्र में बॉलीवुड में अपना सफर शुरू करने वाली जिंदादिल नायिका हैं। दादी का जलवा बरकरार है। शॉर्ट फिल्म जायका से उन्होंने यूट्यूब दर्शकों को रुलाया था तो आगे अजय देवगन की रेड फिल्म में वे बातूनी अम्मा बनी थीं। रेड में मुंबई के खांटी कलाकार सौरभ शुक्ला के पर्दे पर उन्होंने दम से कान खींचे थे। अम्मा के इस किरदार में बुजुर्ग पुष्पा जोशी मुख्य नायिका इलियाना डिक्रूज के बराबर नहीं तो कम असरदार भी नहीं थीं।
जबलपुर की बुजुर्ग कलाकार पुष्पा जोशी ने उमर के स्पीड ब्रेकर को एकतरफ रख हिन्दी सिने संसार में गजब का धमाल मचाया हुआ है। वे इन दिनों मुंबई में मध्य प्रदेश की खोज कही जा सकती हैं। उन्होंने जिस तेजी से बॉलीवुड में सफलता हासिल की है तारीफे काबिल है। दरअसल पुष्पा जोशी उस उम्र में सिनेमा की दुनिया में जमकर मेहनत कर रही हैं जिस उमर में लाखों बुजुर्ग अपने दैनिक कामों में भी कमतर महसूस करते हैं। वे ऐसे लाखों-करोड़ों बुजुर्गों के लिए हौंसला हैं जो सीनियर सिटीजन होते होते जिंदगी से मायूस होने लगते हैं। जबलपुर की अम्मा उन सारे बुजुर्गों के लिए आनंदमय जीवन जीने की प्रेरणा हैं। वे माया नगरी मुंबई में मध्य प्रदेश की ब्रांड एंबेसडर हैं। उन्होंने अपनी अदाकारी से दिखा दिया है कि शुरुआत कभी भी कहीं से की जा सकती है सिने दुनिया सिर्फ चकाचौंध की ही दुनिया नहीं है और युवावस्था और शारीरिक सौंदर्य ही सिनेमा में सफलता का पैमाना नहीं है। फिल्म में युवा नायक नायिका के अलावा भी सामाजिक जीवन के घर परिवार गांव शहर के बीच के कई बच्चे और बुजुर्ग किरदार भी होते हैं। लाखों-करोड़ों दर्शक सितारों के साथ साथ सिनेमा में बेहतरीन अभिनय भी देखने जाते हैं। पुष्पा जोशी आज बॉलीवुड में लगातार नई फिल्में पा रही हैं तो यह ऐसे ही कला कद्रदान दर्शकों की वजह से ही संभव हो पा रहा है। पुष्पाजी की अदाकारी देखिए आप सहज आनंद पाएंगे और उनके प्रशंसक बन जाएंगे। शॉर्ट फि़ल्म जायका में उन्होंने गजब की भाव प्रवण अदाकारी की है।
यह फिल्म मुंशी प्रेमचंद की बूढ़ी काकी कहानी का लघु रूप कही जा सकती है। बुढ़ापे में किस कदर शरीर के असमर्थ होने के बावजूद खाने पीने की बालसुलभ लालसा कैसे रह रह कर बुजुर्गों के मन में आती हैं उन्होंने गजब ढंग से चित्रित किया है। इस फिल्म को देखकर तमाम ऐसे परिवार अपने बुजुर्गों की सुध लेंगे जो किंतु-परंतु मैं अपनों द्वारा ही बांध दिए जाते हैं। जायका फिल्म बुजुर्ग माता पिता की अनकही बातें जवान बच्चों से करती है। जायका कहती है कि बेशक शरीर की सीमाएं हैं लेकिन परिवार के बच्चे बुजुर्गों को इन सबके बीच बेहतर जिंदगी का अनुभव करा सकते हैं। उन्हें पसंदीदा चटपटा खाना रोज नहीं तो कभी-कभी तो जीवन में उमंग और उल्लास लाने खिलाया जा सकता है। दवाओं के बीच कुछ चटपटी चीजें बुजुर्गों के लिए दूसरी दवाओं से कम काम नहीं करती। इस फिल्म में पुष्पा जोशी अपने जीवंत अभिनय से संवाद करती हैं कि बुढ़ापा बहुदा बचपन का पुर्नआगमन ही होता है।
जबलपुर की दादी पुष्पा जोशी की खुलकर प्रशंसा की जानी चाहिए कि उनमें अदाकारी के लिए बच्चों और युवाओं से भी बढ़कर जोश है। उन्होंने फिल्म में एक्टिंग के लिए लगातार कई घंटे दिए हैं लेकिन थक हारकर नहीं हंसते और हंसाते हुए। 2018 में रिलीज हुई रेड फिल्म इसी बात का प्रमाण रही है। फिल्म के नायक अजय देवगन और खलनायक सौरभ शुक्ला इस बात की सार्वजनिक रूप से कई बार चर्चा कर चुके हैं। यूपी के एक आयकर अधिकारी की ईमानदारी और यूपी में पड़ी एक बड़ी रेड पर आधारित इस फिल्म में पुष्पा जोशी ने कुछ मिनटों के किरदार से जमकर धमाल मचा दिया था। इस फिल्म में वे काली कमाई दबाए बैठे खलनायक की बूढ़ी अम्मा बनी हुई हैं। फिल्म में उन्हें इस काले पैसे से कोई लेना देना नहीं है। घर में रेड पड़ी हुई है लेकिन अम्मा बिंदास हैं। वे कई दृश्यों में घर के ही दूसरे पुरुषों पर रौब झाड़ती हुई नजर आती हैं तो गुस्सा आने पर उनमें चांटा भी जड़ देती हैं। घर की बहू और बेटी के किसी से नैन मटक्का पर अम्मा के जलते हुए ताने दर्शकों को सिनेहॉल में जमकर हंसाने वाले रहे हैं। इस फिल्म में पुष्पा जोशी ने भारतीय परंपरागत दादी, अम्मा, नानी का रौबिला किरदार भरपूर जिया है। इस फिल्म में उन्होंने ऐसी अदाकारी दिखाई कि नायक अजय देवगन की पत्नी एवं अभिनेत्री काजोल तो उन्हें घर ले जाने की जिद कर बैठीं। कुल मिलाकर रेड फिल्म के प्रमोशन से लेकर उसके प्रदर्शन तक जबलपुर की अम्मा खूब चर्चा में रहीं।
वे इन दिनों में फेविक्विक के एक ऐड को लेकर छाई हुई हैं। एड की पंच लाइन है फेंको नहीं जोड़ो। दादी अम्मा इसमें कबाड़ी वाली बनकर गजब संदेश दे रही हैं। इस छोटे से ऐड में कहानी यह है की घर की किशोर बेटी अपने बैग, ईयररिंग, सन ग्लासेज और सैंडल को टूटते ही फेंकते चली जाती है जबकि बूढ़ी अम्मा उन्हें कचरे से उठाते हुए फेविक्विक से जोड़ते हुए अपने काम का बनाते चली जाती है। किशोरी को यह पता नहीं होता लेकिन किशोरी और उसकी मां के बीच संवाद के वक्त जब अम्मा पुराने टूटे कड़े, चूडिय़ां, सैंडिल, चश्मे को पहन कर जब एकदम अलग अंदाज में सामने आते ही बोलती हैं। मैं हूं कबाड़ी वाली। फेविक्विक फेंको नहीं जोड़ो। इस तरह अम्मा पुष्पा जोशी अपने छोटे से किरदार से पर्यावरण संरक्षण और रीसाइकलिंग का बेहतरीन संदेश दे रही हैं। सबसे खास बात यह है कि इस ऐड में वे हास्य पैदा करते हुए हमें पर्यावरण संरक्षण करना सिखा रही हैं।
अम्मा और अम्मा की एक्टिंग यहीं आकर सबसे अलग हो जाती है। उनकी उम्र उनकी अदाकारी का गहना बनी हुई है चाहे फिर जायका और रेड फिल्म को देख लीजिए या फिर फेविक्विक के इस शॉर्ट एड को। जबलपुर की अम्मा की एक्टिंग इतनी दमदार है कि उन्हें लगातार बार-बार कई फिल्में मिल रही हैं जल्दी वे रामप्रसाद की तेरहवीं नामक नई फिल्म में दिखाई देंगी। इस फिल्म में उनके साथ थिएटर के खांटी कलाकार नसरुद्दीन शाह, सुप्रिया पाठक, कोंकणा सेन से लेकर कई दूसरे कलाकार भी होंगे। यह फिल्म भी हंसते हंसाते हुए सबका जमकर मनोरंजन करने वाली है। मध्य प्रदेश की शान और जबलपुर की पहचान 85 वर्षीय सिने अभिनेत्री पुष्पा जोशी इसी तरह निरंतर सिनेमा में नाम कमाती जाएं यही हमारी कामना है।