हमेशा बदलती रहने वाली राजनीतिक परिस्थितियां किसी भी करवट बैठें, पर कम से कम भारत की जनता को यह बात हमेशा के लिए मान लेनी चाहिए कि बांग्लादेश और पाकिस्तान उसके शत्रु राष्ट्र हैं। क्योंकि चाहे कुछ भी हो जाए, बांग्लादेश और पाकिस्तान की सत्ता या वहाँ की जनता भारत के प्रति मित्रता का भाव नहीं रख पाएगी। उनकी मजहबी मान्यताएँ उन्हें सदैव भारत के विरुद्ध उकसाती रहेंगी और वे भारत को चोट पहुँचाते रहेंगे।
दीपू दास की बर्बरतापूर्ण हत्या के बाद भारत में भले ही हल्ला मचता रहा हो, पर इससे बांग्लादेश को कोई फर्क पड़ा क्या? नहीं। बल्कि चार दिन बाद ही वहाँ दूसरे हिंदू युवक को उसी तरीके से पीट-पीट कर मार दिया गया। वे आगे भी ऐसा करते रहेंगे, क्योंकि यह उनके लिए सहज है। किसी हिंदू पर केवल ईशनिंदा का आरोप लगाने भर की देर होती है-वहाँ की भीड़ बिना किसी प्रश्न के उसे पीट-पीट कर जान ले लेती है। वहां का कानून यदि इसके विरुद्ध होने की नौटंकी भी करे, तो भी वहाँ का समाज इस बर्बरता को बुरा नहीं मानता।
भारत में इस बात की बार-बार चर्चा होती रहनी चाहिए कि भारत माता का सीना चीरकर पाकिस्तान क्यों बना। पाकिस्तान इसलिए बना, क्योंकि उन लोगों को हिंदुओं के साथ रहना मंजूर नहीं था। उन्हें हिंदू जाति से इतनी घृणा थी कि उन्होंने ‘डायरेक्ट एक्शन’ के नाम पर बर्बरतापूर्वक अपने पड़ोसी हिंदुओं का सामूहिक नरसंहार किया, स्त्रियों का बलात्कार किया, बच्चों के कटे सिर से गेंद खेली और तब जाकर अपना देश लिया। वह देश कभी भी भारत के साथ मित्रवत संबंध क्यों निभाना चाहेगा?
मानता हूं, उनके लिए किसी हिंदू युवक की हत्या देश को हिंदूमुक्त बनाने की ओर बढ़ाया गया एक कदम ही तो है।
दरअसल भारत की पीड़ा का कारण भारत में बैठे वे लोग भी हैं, जो कभी संगीत के बहाने तो कभी खेलों के बहाने मधुर संबंधों और मित्रता का राग अलापते रहते हैं। इन दोनों आतंकी राष्ट्रों से मित्रता की बातें दरअसल इसलिए की जाती हैं ताकि भारत के लोग पाकिस्तानियों के आतंक और उनके अत्याचारों को भूल जाएँ। इनका मूल लक्ष्य यही होता है कि किसी भी तरह पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ होने वाले अत्याचारों पर पर्दा डाला जा सके।
भारत में बैठे धूर्त लोग बार-बार यह बताने का प्रयास करते रहे हैं कि पाकिस्तान और बांग्लादेश की ओर से भारत के विरुद्ध होने वाली गतिविधियों में वहाँ की जनता की कोई भूमिका नहीं होती, और वहाँ के लोग तो मित्रता और स्नेह चाहते हैं। इससे बड़ा झूठ कुछ हो नहीं सकता। कोई भी सरकार अंततः वहाँ की जनता की ही प्रतिनिधि होती है और जनता के विचारों को ही आगे बढ़ाती है। पाकिस्तानी और बांग्लादेशी सत्ता का आतंकी चरित्र वहाँ की जनता के चरित्र का ही प्रतिबिंब है।
पिछले चार वर्षों में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी यूट्यूबर्स के शॉर्ट्स, रील्स आदि से यह सच भी सामने आ गया है कि वहां की बहुसंख्यक आबादी न केवल भारत से घृणा करती है, बल्कि ‘गजवा-ए-हिंद’ का स्वप्न देखते हुए भारत से हिंदुओं का खात्मा करना चाहती है।
कुछ लड़ाइयाँ सत्ता के स्तर पर नहीं जीती जातीं; उन्हें सभ्यता लड़ती है और सभ्यता ही जीतती है। पाकिस्तानी और बांग्लादेशी विचारधारा से भारतीय समाज को ही लड़ना होगा और जीतना होगा।