राजनीतिक सेहत की नहीं, जनता की सेहत की चिंता करिये

Update: 2021-10-08 10:40 GMT

वेब डेस्क। आईसीएमआर यानी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने हाल ही में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर बड़ी चेतावनी जारी की है। परिषद ने इस मामले में खासतौर से जिन राज्‍यों को चेताया है उनमें मध्‍यप्रदेश के अलावा हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, गोवा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे 9 राज्‍य शामिल हैं। परिषद का कहना है कि आने वाले आठ सप्‍ताह यानी 2 महीने बेहद सतर्कता बरतने की जरूरत है। बड़ा खतरा बच्‍चों और उन लोगों को है जिन्‍होंने अभी तक कोविड का टीका नहीं लगवाया है। एक तरफ देश के अधिकांश राज्‍यों में सामान्‍य गतिविधियां शुरू हो गई हैं। स्‍कूल और अन्‍य संस्‍थानों के साथ व्‍यापारिक गतिविधियां भी कई पाबंदियों से मुक्‍त कर दी गई हैं। ऐसे में आईसीएमआर की ताजा चेतावनी पर गंभीरता से ध्‍यान देने की जरूरत है। जो अवधि आईसीएमआर ने बताई है उसमें मध्‍यप्रदेश जैसे राज्‍य में खतरा और ज्‍यादा बड़ा है क्‍योंकि इन्‍हीं दिनों में राज्‍य में न सिर्फ नवरात्रि, दशहरा और दिवाली जैसी बड़ी त्‍योहारी गतिविधियां होने वाली हैं वहीं राज्‍य में एक लोकसभा और तीन विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव भी होने जा रहे हैं। ये सारी गतिविधियां बड़ी संख्‍या में लोगों के घर से बाहर निकलने और एक दूसरे के सघन संपर्क में आने का कारण बनेंगी।

ऐसे में समाज और सरकार दोनों का दायित्‍व हो जाता है कि सख्‍ती और संयम बरता जाए। जहां तक राजनीतिक गतिविधियों की बात है हमने देखा है कि नवंबर 2020 में विधानसभा की 28 सीटों के लिए हुए उपचुनाव में और बाद में अप्रैल 2021 में दमोह सीट के लिए हुए उपचुनाव में किस तरह कोविड प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ी थीं। इस बार प्रदेश में खंडवा लोकसभा सीट के अलावा जोबट, पृथ्‍वीपुर और रैगांव विधानसभा सीट के लिए उपुचनाव होने जा रहे हैं। इस बात को ध्‍यान में रखा जाना चाहिए कि ये सभी सीटें उन जन प्रतिनिधियों के निधन से रिक्‍त हुई हैं जिनकी मृत्‍यु का कारण कोरोना ही था। ऐसे में शासन प्रशासन के साथ साथ राजनीतिक दलों का दायित्‍व और बढ़ जाता है कि वे कम से कम इस बार तो ऐसी कोई लापरवाही न बरतें जिससे कोविड को फैलने का मौका मिले। देश भर में उपचुनावों को लेकर चुनाव आयोग ने जो गाइडलाइन जारी की है उसके अनुसार राजनीतिक दलों और प्रत्‍याशियों के लिए यह आवश्‍यक होगा कि वे चुनाव प्रचार और चुनाव से जुड़ी अन्‍य गतिविधियों में कोविड प्रोटोकाल का अनिवार्य रूप से ध्‍यान रखें। यदि किसी ने उन गाइडलाइन को न पढ़ा हो तो उनके लिए और जनता के लिए भी उन बिंदुओं को ध्‍यान में लाना जरूरी है जिन पर चुनाव आयोग ने अमल करने को कहा है।

आयोग के मुताबिक इन उपचुनावों में नामांकन भरने जाते समय और वहां से लौटते समय किसी भी जुलूस या सभा की अनुमति नहीं होगी। निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के सौ मीटर के दायरे में तीन से अधिक वाहन नहीं जा सकेंगे। चुनाव प्रचार के दौरान बंद परिसरों (इनडोर मीटिंग) में परिसर की क्षमता के 30 प्रतिशत या 200 व्‍यक्ति इनमें से जो भी कम हो, ही मौजूद रह सकते हैं, इससे अधिक नहीं। ऐसे परिसर में लोगों की गिनती के लिए एक रजिस्‍टर रखना होगा। खुले मैदान में आयोजित होने वाली सभाओं में परिसर की क्षमता के पचास प्रतिशत या अधिकतम 500 लोग ही उपस्थित रह सकेंगे। स्‍टार प्रचारक की सभा में यह संख्‍या क्षमता का 50 फीसदी अथवा 1000 लोग, इनमें से जो भी कम हो, रहेगी। ऐसी हर सभा के लिए उस मैदान या क्षेत्र की घेराबंदी करना होगी और वहां पुलिस की निगरानी रहेगी। लोगों की गिनती के लिए निगरानी की व्‍यवस्‍था करनी होगी और इसका सारा खर्च उम्‍मीदवार को ही उठाना होगा। बगैर घेराबंदी या बैरिकेड लगाए मैदानों पर सभी नहीं की जा सकेगी।

चुनाव आयोग ने साफ किया है कि प्रचार के दौरान किसी भी प्रकार के रोड शो अथवा मोटर, बाइक या सायकल रैली की इजाजत नहीं होगी। नुक्‍कड़ सभाओं के लिए भी कोविड नियमों को ध्‍यान में रखते हुए 50 से अधिक लोग नहीं जुटाए जा सकेंगे। घर घर जाकर प्रचार के दौरान भी उम्‍मीदवार या उसके प्रतिनिधि सहित सिर्फ पांच लोग ही रहेंगे। वीडियो प्रचार की स्थिति में स्‍थान की क्षमता और कोविड प्रोटोकाल के पालन को ध्‍यान में रखते हुए अधिकतम 50 दर्शक ही रह सकेंगे। आयोग ने यह भी कहा है कि प्रचार के दौरान स्‍टार प्रचारक को छोड़कर बाकी उम्‍मीदवार या राजनीतिक दल को 20 से अधिक वाहनों के उपयोग की अनुमति नहीं होगी और इन 20 वाहनों में भी उनकी सवारी क्षमता के आधे लोग ही बैठ सकेंगे। किसी भी गतिविधि में मास्‍क, सेनेटाइजर, फेस शील्‍ड, दस्‍ताने के उपयोग के साथ थर्मल स्‍कैनिंग जैसे कोविड प्रोटोकाल का पालन करना होगा। इन नियमों का पालन सुनिश्चित करना राज्‍य के मुख्‍य सचिव, पुलिस महानिदेशक और सबंधित जिला प्रशासन की जिम्‍मेदारी होगी। यदि कोई उम्‍मीदवार या राजनीतिक दल इन नियमों का उल्‍लंघन करता है तो उसे आगे किसी भी रैली या सभा की अनुमति नहीं दी जाएगी। आयोग ने तो अपनी तरफ से सारे निर्देश जारी कर दिए हैं, अब इनके पालन और इनकी अवहेलना पर निगरानी रखने की जिम्‍मेदारी उम्‍मीदवारों और राजनीतिक दलों के साथ साथ जनता की भी है। ये जो उपचुनाव हो रहे हैं उससे न प्रदेश में और न केंद्र में सरकार या किसी राजनीतिक दल की स्थिति में कोई खास बदलाव होने वाला है। राजनीति के अपने तकाजे हो सकते हैं, लेकिन राजनीतिक सेहत से ज्‍यादा लोगों की सेहत की चिंता करना जरूरी है। उम्‍मीद है इस बात को ध्‍यान में रखते हुए ही ये उपचुनाव लड़े जाएंगे।

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