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नौसेना की बढ़ी ताकत, स्कॉर्पीन पनडुब्बी 'वेला' हुई शामिल

Update: 2021-11-25 06:30 GMT

नईदिल्ली।  स्कॉर्पीन श्रेणी की चौथी पनडुब्बी 'वेला' गुरुवार को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल कर ली गयी। इससे समुद्र के अन्दर से दुश्मन पर वार करने की भारत की क्षमता और ज्यादा बढ़ गई है। मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में आयोजित शानदार समारोह में पनडुब्बी पर नौसैनिक ध्वज और राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ ही उसे भारत के एक वैध और संप्रभु प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी गई। इस क्लास की तीन पनडुब्बियां पहले से ही भारतीय नौसेना के पास हैं।

तीन पनडुब्बियां पहले से ही नौसेना के पास - 

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह की उपस्थिति में कमीशन समारोह में आईएनएस वेला को औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। समारोह के दौरान न केवल पनडुब्बी पर नौसैनिक ध्वज और राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया, बल्कि उसे भारत के एक वैध और संप्रभु प्रतिनिधि के रूप में मान्यता भी दी गई। इसके निर्माण के दौरान ही पनडुब्बी को 'यार्ड 11878' के रूप में नामित किया गया था। पनडुब्बी 'वेला' ने हथियार और सेंसर परीक्षणों सहित सभी प्रमुख बंदरगाह और समुद्री परीक्षणों को पूरा कर लिया है। इनमें से तीन पनडुब्बियां पहले से ही भारतीय नौसेना के पास कमीशन में हैं।

आईएनएस वेला की खासियत - 

नई पनडुब्बी एक बार गोता लगाने के बाद बहुत ही प्रभावशाली तरीके से ताकत के साथ दुश्मन की पनडुब्बी को पानी के भीतर ही डुबोने में सक्षम है। वेला उन्नत हथियारों और सेंसर से सुसज्जित है। इन सभी को सबमरीन टैक्टिकल इंटीग्रेटेड कॉम्बैट सिस्टम में एकीकृत किया गया है, जिसे सबटिक्स के नाम से जाना जाता है। इस पनडुब्बी की अपनी समुद्री स्किमिंग मिसाइलों को फ्लाइंग फिश या भारी वजन वाले तार-निर्देशित टॉरपीडो के रूप में भी जाना जाता है। नौसेना इंजीनियरों और भारतीय प्रशिक्षण दल (आईटीटी) की देखरेख में पनडुब्बी का निर्माण 'आत्म निर्भर भारत' की दिशा में मील का एक प्रमुख पत्थर है।

कुल छह पनडुब्बियों का होना है निर्माण - 

प्रोजेक्ट-75 की पनडुब्बी का निर्माण 14 जुलाई, 09 को स्टील की पहली कटिंग के साथ शुरू हुआ। इसे 06 मई, 19 को लॉन्च करने के साथ ही 'वेला' नाम दिया गया। व्यापक प्रणाली, मशीनरी और हथियार परीक्षणों के बाद एमडीएल ने इसी माह की शुरुआत में 09 नवम्बर को यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना को सौंपी थी। एमडीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सेवानिवृत्त वाइस एडमिरल नारायण प्रसाद और नौसेना की ओर से रियर एडमिरल केपी अरविंदन ने स्वीकृति पत्रों पर हस्ताक्षर किए थे। इस प्रोजेक्ट के तहत स्कॉर्पीन डिजाइन की कुल छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है।

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