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प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी की स्मृति में सिक्का एवं डाक टिकट जारी किया

Update: 2021-01-23 10:23 GMT

प्रधानमंत्री ने नेताजी की स्मृति में डाक टिकट एवं सिक्का जारी किया 

कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर पराक्रम दिवस समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने नेताजी की स्मृति में एक सिक्का एवं डाक टिकट जारी किया। इससे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा आज कोलकाता में आना मेरे लिए बहुत भावुक कर देने वाला क्षण है। बचपन से जब भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का नाम सुना, मैं किसी भी स्थिति-परिस्थिति में रहा, इस नाम से एक नई ऊर्जा से भर गया। मैं नेता जी की 125वीं जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उन्हें नमन करता हूं। मैं आज बालक सुभाष को नेताजी बनाने वाली, उनके जीवन को तप, त्याग और तितिक्षा से गढ़ने वाली बंगाल की इस पुण्यभूमि को भी नमन करता हूं। इस अवसर पर प बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी मौजूद रहे।

नेताजी का नाम सुनते ही ऊर्जा आ जाती है -


आज के ही दिन मां भारती की गोद में उस वीर सपूत ने जन्म लिया था, जिसने आजाद भारत के सपने को नई दिशा दी थी।आज के ही दिन ग़ुलामी के अंधेरे में वो चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था, मैं तुमसे आजादी मांगूंगा नहीं, छीन लूंगा।मैंने अनुभव किया है कि नेताजी का नाम सुनते ही हर कोई कितनी ऊर्जा से भर जाता है। नेताजी के जीवन की ऊर्जा जैसे उनके अंतर्मन से जुड़ गई है। उनकी ऊर्जा, आदर्श, तपस्या, त्याग देश के हर युवा के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।यह भूमि, जिसने हमें सभी क्षेत्रों में असंख्य खजाने दिए हैं, हमें भी अपना राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत दिया है।मैं उन सभी महान लोगों का सम्मान करता हूं।  

23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाएंगे -


आज जब भारत नेताजी की प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है तो हम सभी का कर्तव्य है कि उनके योगदान को पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया जाए।इसलिए देश ने ये तय किया है कि अब हर वर्ष हम नेताजी की जयंती, यानी 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाएंगे। उनके जैसे फौलादी इरादों वाले व्यक्तित्व के लिए असंभव कुछ नहीं था। उन्होंने विदेश में जाकर देश से बाहर रहने वाले भारतीयों की चेतना को झकझोरा। उन्होंने पूरे देश से हर जाति, पंथ, हर क्षेत्र के लोगों को देश का सैनिक बनाया। 

नेताजी ने भारत की आजादी की नींव रखी -

नेताजी का संकल्प था भारत की जमीन पर आजाद भारत की आजाद सरकार की नींव रखेंगे।नेताजी ने अपना ये वादा भी पूरा करके दिखाया। उन्होंने अंडमान में अपने सैनिकों के साथ आकर तिरंगा फहराया। 2018 में ही देश ने आज़ाद हिन्द सरकार के 75 साल को भी उतने ही धूमधाम से मनाया था। नेताजी ने "दिल्ली दूर नहीं" का नारा देकर लाल किले पर झंडा फैहराने का सपना देखा था, देश ने वो सपना पूरा किया। जब आजाद हिंद फौज की कैप में मैंने लाल किले पर झंडा फहराया था, उस वक्त मेरे मन मस्तिष्क में बहुत कुछ चल रहा था। बहुत से सवाल थे, बहुत सी बातें थीं, एक अलग अनुभूति थी। मैं नेताजी के बारे में सोच रहा था, देशवासियों के बारे में सोच रहा था। 

ममता बनर्जी हुई नाराज -

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नाराज नजर आई। वह बिना भाषण दिए ही वापस लौट गई।  दरअसल, जब वह भाषण देने के लिए खड़ी हुई तो कुछ लोग नारे बाजी करने लगे।  जिससे वह नाराज हो गई और कहा की ये किसी पॉलिटिकल पार्टी का नहीं बल्कि सरकार का कार्यक्रम है। किसी को निमंत्रण देकर बेइज्जत करना अच्छी बात नहीं है। मैं अब कुछ नहीं बोलूंगी। जय भारत, जय बांग्ला। 

नेताजी भवन का दौरा किया -  


इससे पहले प्रधानमंत्री ने नेताजी भवन का दौरा किया। यहां पहुंच नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की एवं उनके परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी से जुड़ी दो नई गैलरियों का उद्घाटन किया। जिसमें से एक गैलरी सुभाष चंद्र बोस को समर्पित है एवं दूसरी देश के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित है।इ




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