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सबसे खतरनाक मिसाइल 'निर्भय' का परीक्षण 8 मिनट के अंदर खत्म, DRDO ने खुद ही मार गिराया

-पांचवें और आखिरी परीक्षण में खराबी आने पर डीआरडीओ ने खुद ही मार गिराया -परीक्षण के अगले दौर के बाद औपचारिक रूप से सेना में किया जाएगा शामिल

Update: 2020-10-12 13:57 GMT

नई दिल्ली/वेब डेस्क। चीन से टकराव के बीच लद्दाख सीमा पर तैनात 1000 किमी. की दूरी तक मार करने वाली सबसे खतरनाक मिसाइल 'निर्भय' का आखिरी और पांचवां परीक्षण सोमवार को तकनीकी खराबी आ जाने से महज 8 मिनट के अंदर ख़त्म हो गया। इससे पहले परमाणु सक्षम लॉन्ग रेंज सबसोनिक क्रूज मिसाइल निर्भय के चार परीक्षण किए जा चुके हैं। आज हुए परीक्षण में डीआरडीओ ने निर्भय क्रूज मिसाइल को 8 मिनट के बाद खुद ही मार दिया। कुछ ही महीनों में परीक्षण के अगले दौर के बाद निर्भय मिसाइलों को औपचारिक रूप से सेना में शामिल किया जाएगा।

आकाश में मंडराने और पैंतरेबाजी के प्रदर्शन में माहिर यह मिसाइल लंबी दूरी तक परमाणु हथियार ले जाने और सभी मौसम में कई लक्ष्यों के बीच हमला करने में सक्षम है। छह मीटर लंबी और लगभग 1500 किलो वजन वाली यह मिसाइल 1000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार कर सकती है। दो पंखों के साथ यह मिसाइल 500 मीटर से लेकर चार किमी. की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। मिसाइल को टेक ऑफ के लिए ठोस रॉकेट बूस्टर द्वारा संचालित किया जाता है, जिसे उन्नत प्रणाली प्रयोगशाला (एएसएल) द्वारा विकसित किया गया है। आवश्यक वेग और ऊंचाई तक पहुंचने पर मिसाइल में लगा टर्बोफैन इंजन इग्निशन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसे स्वदेशी अनुसंधान केंद्र (आरसीआई) द्वारा विकसित एक अति उन्नत जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और ऊंचाई निर्धारण के लिए रेडियो तुंगतामापी (ऑलटीमीटर) द्वारा निर्देशित किया जाता है। दुश्मन के रडार से बचने के लिए यह नीची ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है। यह मिशन की आवश्यकताओं के आधार पर अलग-अलग प्रकार के 24 हथियारों को वितरित करने में भी सक्षम है।

पहले परीक्षण में राह से भटकी

निर्भय मिसाइल के सतह संस्करण (ग्राउंड वर्जन) का परीक्षण पहली बार ओडिशा के बालासोर जिले में चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से 12 मार्च,2013 को किया गया। अपनी पहली उड़ान में मिसाइल बंगाल की खाड़ी में 1000 किमी की दूरी पर स्थित एक स्थिर लक्ष्य को भेदने वाली थी। मिसाइल ने सफलतापूर्वक लांच पैड से उड़ान भरी और प्रणोदन (इग्निशन) के दूसरे चरण में पहुंचकर 0.7 मैक की रफ्तार से 15 मिनट तक अपने निर्धारित पथ पर गई। इसके बाद यह अपने लक्ष्य से दूर मुड़ गई जिसकी वजह से उड़ान के मध्य रास्ते में ही मिसाइल को इंजन से अलग करके जानबूझकर नष्ट कर दिया गया। ऐसा मिसाइल के तटीय क्षेत्रों से टकराने के जोखिम से बचने के लिए किया गया था। फिर भी इस परीक्षण को आंशिक सफलता के रूप देखा गया क्योंकि मिसाइल ने अपनी सीमा में 30 प्रतिशत सफलतापूर्वक यात्रा की। मिसाइल ने अपनी राह से हटने से पहले मिशन के ज्यादातर उद्देश्यों को प्राप्त कर लिया गया था। डीआरडीओ की जांच में दोषपूर्ण जड़त्वीय (इनरशिअल) नेविगेशन प्रणाली के बारे में पता चला जिसे बाद में सही कर लिया गया।

दूसरा परीक्षण पूरी तरह सफल रहा

निर्भय मिसाइल का दूसरा लांच फरवरी-मई 2014 के लिए निर्धारित किया गया था लेकिन बाद में यह अक्टूबर 2014 तक स्थगित हो गया। अक्टूबर में कुछ देरी हुदहुद चक्रवात के कारण भी हुई। 17 अक्टूबर 2014 को मिसाइल के सतह संस्करण का परीक्षण फिर से एक बार ओडिशा के बालासोर जिले में चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया और इस बार परीक्षण सफल रहा। मिसाइल ने परीक्षण के सभी 15 मापदंडों पूरा किया। मिसाइल 1000 किलोमीटर से अधिक दूर और 1 घंटे 10 मिनट की अवधि तक चली। मिसाइल को जमीन आधारित रडार की मदद से ट्रैक किया गया और डीआरडीओ के आईटीआर और एलआरडीई (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार विकास स्थापना) के टेलीमेटरी स्टेशनों से निगरानी की गई। भारतीय वायु सेना के लड़ाकू जेट जगुआर ने मिसाइल का पीछा करके उड़ान के दौरान की वीडियो बनाई।

तीसरे परीक्षण में हुई दुर्घटनाग्रस्त

मिसाइल का तीसरा टेस्ट 16 अक्टूबर 2015 को 11:38 बजे हुआ। मिसाइल का नीची उड़ान क्षमता के लिए परीक्षण किया जा रहा था। उड़ान के दौरान मिसाइल को 4800 मीटर से धीरे-धीरे 20 मीटर की दूरी पर लाना था। सुखोई-30 एमकेआई विमान ने उड़ान को वीडियो टेप किया। मिसाइल के सभी शुरुआती आवश्यक ऑपरेशन सफल रहे लेकिन अपनी 1000 किमी. रेंज में से केवल 128 किमी. कवर करने के बाद 11 मिनट की उड़ान में मिसाइल बंगाल की खाड़ी में दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

चौथे परीक्षण में फिर राह भटकी

मिसाइल का चौथा टेस्ट 21 दिसम्बर, 2016 को एकीकृत परीक्षण रेंज के प्रक्षेपण परिसर-III (आईटीआर) बालासोर, ओडिशा में 11:56 बजे किया गया। इस परीक्षण के परिणाम पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया लेकिन यह परीक्षण सफल नहीं था। पहले चरण में बूस्टर इंजन ने काम शुरू किया और इसके लांचर ने मिसाइल को ऊपर उठाया लेकिन मिसाइल ने लिफ्ट बंद होने के दो मिनट बाद एक ओर खतरनाक तरीके से मुड़ना शुरू कर दिया और राह भटककर अपने सुरक्षा गलियारे के बाहर मुड़ गई। इस कारण मिसाइल परीक्षण को निरस्त करना पड़ा और इसे दूर से नष्ट कर दिया गया। मिसाइल की विफलता के लिए एक संभावित कारण एक हार्डवेयर की समस्या को बताया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत

Submitted By: Sunit Nigam Edited By: Akash Kumar Rai Published By: Akash Kumar Rai at Oct 12 2020 3:39PM

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