दिल्ली जामा मस्जिद में लड़कियों और महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध, विरोध के बाद आदेश रद्द

विवाद बढ़ने पर जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने दी सफाई

Update: 2022-11-25 10:51 GMT

 ⊗  इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा था कि "यह आदेश नमाज अदा करने आने वालों पर लागू नहीं होता है।"

नईदिल्ली/वेब डेस्क। दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के प्रशासन ने 17वीं शताब्दी के स्मारक "जमा मस्जिद" में लड़कियों और महिलाओं के प्रवेश को प्रतिबंधित किया। मस्जिद प्रशासन को अपने फैसले से सोशल मीडिया पर जबरदस्त विरोध और नाराजगी झेलनी पड़ी। मस्जिद के प्रवक्ता सबीउल्लाह खान ने भी अपना पक्ष रखा लेकिन इस मुद्दे पर दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के हस्तक्षेप के बाद जामा मस्जिद प्रशासन और शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने लड़कियों के प्रतिबंध वाले आदेश को वापस लेने के लिए सहमति दी।

"जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखला मना है"

(The entry of a girl, or girls, is not permitted in Jama Masjid)," 


नोटिस बोर्ड जामा मस्जिद के प्रत्येक प्रवेश द्वारा पर 15 दिवस पूर्व लगाया गया था जिसे विरोध के बाद मस्जिद प्रशासन को हटाना पड़ा।

जामा मस्जिद के इस महिला विरोधी फैसले से सोशल मीडिया पर एक बहस का मुद्दा छिड़ गया। मस्जिद के अधिकारियों से निर्देशित मौजूद गार्डों ने जब लड़कियों, अकेली अकेली महिलाओं और कुछ जोड़ों को प्रवेश करने से रोक दिया और उन्हें वापस जाने या परिवार के साथ लौटने को कहा तो कई लड़कियों ने इसका विरोध किया। विरोध करने वालो ने फेसबुक, ट्विटर पर जमकर आलोचनाएं की।

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