SwadeshSwadesh

मालामाल किसान नेता : वीएम सिंह के पास 631 करोड़ की संपत्ति, 8 मामलों में आरोपी, कांग्रेस से लड़ चुके हैं चुनाव

Update: 2020-12-14 12:19 GMT

फोटो - किसान आंदोलन में शामिल कांग्रेस के टिकट से पीलीभीत लोकसभा चुनाव लड़ चुके वीएम सिंह। 

वेब डेस्क। अंबानी और अडानी जैसे कॉरपोरेट बिगवाइज और सरकार के खिलाफ उतरे कथित किसान नेताओं को आप देख रहे हैं की कैसे सभी मिलकर विभिन्न ख्वाहिशों के लिए आवाज उठा रहे हैं लेकिन यह माहौल ठीक वैसा नहीं है जैसी आप उम्मीद कर रहे हैं। क्या यह आंदोलन वाकई मूल किसान कर रहा है ? इसको लेकर तरह - तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ा है। 

वीएम सिंह दिल्ली में हालिया विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगो से एक चेहरे के रूप में उभरे हैं, जो अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का प्रतिनिधित्व करते हैं। एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा था की - "हम MSP पर आश्वासन चाहते हैं। हम इसके तहत अपनी उपज की खरीद पर गारंटी चाहते हैं। यदि आप एमएसपी गारंटी विधेयक लाते हैं तो किसानों को लाभ होगा।"

लेकिन अकूत संपत्ति के मालिक वीएम सिंह जैसे नेता अंबानी और अडानी के खिलाफ और कानूनों के विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं। कहां है मूल किसान ?.... 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट से पीलीभीत लोकसभा में चुनाव लड़ने के दौरान घोषित अपने चुनावी हलफनामे के अनुसार वीएम सिंह के पास रु. 414 करोड़ रुपये की कृषि भूमि और रु. 206 करोड़ की गैर कृषि भूमि है। नकदी, मकान सहित अन्य संपत्तियों को जोड़ने के बाद उनकी कुल संपत्ति रु. 631 करोड़ रु. है। 


वीएम सिंह धनी होने के अलावा, कानून प्रवर्तन एजेंसियों में कई मामले भी हैं। 2009 तक उनके खिलाफ 8 आपराधिक मामले दर्ज थे जिसमे आपराधिक धमकी (आईपीसी धारा -506), (आईपीसी धारा -379), दंगा के लिए सजा (आईपीसी धारा -144) और हमला करने, आपराधिक बल से शासकीय कर्मचारियों को ड्यूटी करने से रोकने (IPC धारा -353) आदि के मामले दर्ज थे।



सवाल उठता है की क्या मूल किसान इतना कुछ कर सकता है ? यह विचारणीय है... कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले वीएम सिंह नियमित रूप से किसी उद्देश्य को लेकर सक्रीय अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले किसान के रूप में टीवी पर दिखाई देते हैं। 

केंद्र सरकार द्वारा सितम्बर माह में पारित किये गए कृषि सुधार कानूनों के विरोध में संशोधन कराने हेतु पंजाब में विरोध प्रदर्शन हुआ उसके बाद ये सभी लोग दिल्ली कुछ की जिद में सिंघु बॉर्डर पर ही धरने पर बैठ गए। लेकिन जैसे - जैसे ये आंदोलन आगे बढ़ता जा रहा है इन कथित किसानों की मांगों में लगातार बदलाव होता जा रहा है। कृषि कानून में संशोधन से शुरू हुई मांग कानून रद्द करने तक पहुंची फिर MSP पर गारंटी का कानून बनाने और अब दिल्ली दंगों एवं अन्य मामलों में शामिल लोगो से मामले वापस लेने और रिहा करने तक की मान कर डाली। देश के प्रमुख उद्योगपति अंबानी-अडानी के खिलाफ भी मुखर हुए हैं। इसलिए अब जनता भी कहने लगी है की यह आंदोलन अब दिशाहीन होता जा रहा है। 

(आंकड़े - myneta.info वेबसाइट के अनुसार) 

Tags:    

Similar News