क्या सौ साल से अधिक पुरानी कांग्रेस पार्टी को देश में आतंकवादी संगठन घोषित कर देना चाहिए? इस प्रश्न को, संभव है कई बुद्धिजीवी अतिरेक की संज्ञा दें। पर कांग्रेस ने आज जो अक्षम्य अपराध किया है उसके बाद मेरा स्पष्ट मानना है कि केंद्र सरकार भले ही यह कदम न उठाये, पर भारत खिलाफ जेहाद छेड़ने वाले आतंकी संगठन और कांग्रेस में अब कोई मूलभूत अंतर नहीं रह गया है।
कांग्रेस ने मंगलवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक पोस्टर जारी किया है जिसमें सिर नहीं है। ”सर तन से जुदा’’ यह भाषा आतंकियों की रही है। इस पोस्टर में सिर की जगह G.A.Y.A.B. लिखा गया है। देश के सामने जब आपात परिस्थिति हो तब कांग्रेस ऐसा करके किसकी मदद कर रही है? जम्मू कश्मीर विधानसभा में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला क्या कह रहे हैं? कश्मीर को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस की नीति हमेशा गंभीर सवालों में रही है। सीमा पार उनके रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। पर उमर अब्दुल्ला विधान सभा में कहते है कि अभी कश्मीर को अलग राज्य का दर्जा देने जैसी बात करने का समय नहीं है। वे अपने यहां मेहमान बनकर आए लोगों की रक्षा न कर पाने पर माफी के शब्द तक ढूंढ नहीं पाने की बात कह रहे हैं।
अपने तेजाबी बयानों के लिए बदनाम हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी तक भाषा की मर्यादाओं से पार जाकर आतंकियों की आलोचना करते हुए उन्हें कुचल डालने की मांग कर रहे हैं।
पर कांग्रेस के नेतृत्व पर अब शर्म नहीं आक्रोश पैदा होता है, देश के नेतृत्व के ख़िलाफ़ पूरी बेशर्मी से अपनी नफ़रत का प्रदर्शन करने पर। राहुल पहलगाम जाकर भी किस किस से मिले यह भी देश ने देखा है। कांग्रेस का यह चरित्र ही रहा है। कभी देश को विश्वास में लिये बिना चीन के राजनयिकों से मिलना, कभी अमेरिका जाकर देश विरोधी वक्तव्य देना, कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करना तो कभी संसद में आँख मारकर सड़क छाप आचरण करना। देश ने यह भी सुना है “ये मोदी चुनाव बाद जब बाहर निकलेगा तो देश की जनता डंडे मारेगी।”
पर इस पोस्टर ने मर्यादा की सारी सीमा रेखा लांघ ली है।
केंद्र सरकार को चाहिए कि वह सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक या सीधा वार दुश्मनों पर जब उचित समझे करे। पर घर में बैठे घर के दुश्मनों से भी कैसे निपटना है इसकी भी रणनीति तैयार करे। इतिहास साक्षी है कि निर्णायक युद्ध में भारत ने जयचंदों से ही मात खाई है। पाकिस्तान के राजनीतिक दल एक दूसरे के खून के प्यासे भी हो जाते हैं, पर भारत के ख़िलाफ़ सब एक हैं।
और इधर कांग्रेस प्रधानमंत्री का सिर अलग कर क्या कहना चाह रही है?
इतिहास ने यह अक्षम्य अपराध दर्ज कर लिया है।