थाईलैंड - कंबोडिया विवाद: भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर के खंडहरों के लिए भिड़े दो देश

Update: 2025-07-24 08:38 GMT

Thailand-Cambodia dispute : भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर के खंडहरों के लिए भिड़े दो देश 

Thailand-Cambodia dispute : थाईलैंड और कंबोडिया एक हिंदू मंदिर के खंडहरों पर नियंत्रण को लेकर एक-दूसरे पर बमबारी कर रहे हैं। गुरुवार तड़के एक थाई F-16 लड़ाकू विमान ने कंबोडिया में ठिकानों पर बमबारी की जिसमें कम से कम दो नागरिकों की मौत हो गई। थाई सेना ने पुष्टि की है कि, छह तैयार F-16 विमानों में से एक को विवादास्पद सीमा पर तैनात किया गया था जिसने एक सैन्य लक्ष्य को नष्ट कर दिया। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर झड़प शुरू करने का आरोप लगाया है।

थाई सेना की उप प्रवक्ता ऋचा सुक्सुवानन ने कहा, "हमने योजना के अनुसार सैन्य ठिकानों पर हवाई शक्ति का इस्तेमाल किया है।"

हमले के बाद थाईलैंड ने कंबोडिया के साथ अपनी सीमा बंद कर दी है। कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने हवाई हमलों की निंदा की और इसे अपनी संप्रभुता के खिलाफ "लापरवाह और क्रूर सैन्य आक्रमण" करार दिया। कंबोडियाई अधिकारियों ने बताया कि, विमानों ने एक सड़क पर दो बम गिराए, जिससे राजनयिक तनाव और बढ़ गया। थाईलैंड ने अपने राजदूत को वापस बुला लिया और कंबोडिया के दूत को निष्कासित करने की बात कही। अगर तनाव कम नहीं हुआ तो लंबे समय तक संघर्ष जारी रह सकता है।

थाईलैंड - कंबोडिया विवाद का कारण :

दरअसल, 'ता मुएन थॉम मंदिर' के पास थाईलैंड द्वारा कथित तौर पर एक कंबोडियाई ड्रोन को देखा गया था। यही दोनों देशों के बीच विवाद का कारण बताया जा रहा है।

एक सदी से भी ज़्यादा समय से थाईलैंड और कंबोडिया अपनी 817 किलोमीटर लंबी भूमि सीमा पर कई अनिर्धारित बिंदुओं पर संघर्ष कर रहे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसके कारण कई वर्षों में झड़पों में कम से कम एक दर्जन मौतें हुई हैं, जिनमें 2011 में एक हफ़्ते तक चली तोपों की गोलीबारी भी शामिल है।

लंबे सीमा विवाद के केंद्र में 9वीं से 11वीं शताब्दी के मंदिर हैं। माना जाता है कि इन्हें शुरू में हिंदू तीर्थस्थलों के रूप में बनाया गया था लेकिन बाद में क्षेत्र की धार्मिक प्राथमिकताओं के अनुसार बौद्ध धर्म में शामिल कर लिया गया।

प्रमुख पर्वतीय दर्रे पर मंदिर परिसर

'प्रसात ता मुएन थॉम मंदिर' डांगरेक पर्वतों में स्थित है और माना जाता है कि इसका निर्माण खमेर शासक उदयादित्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में हुआ था और यह भगवान शिव को समर्पित है।

यह एक बड़े मंदिर परिसर का हिस्सा है - जिसमें कम से कम दो अन्य प्राचीन मंदिर हैं - जो प्राचीन खमेर राजमार्ग के किनारे एक रणनीतिक दर्रे पर स्थित है। यह दर्रा वर्तमान कंबोडिया के अंगकोर को थाईलैंड के फिमाई से जोड़ता है।

कंबोडिया ऐतिहासिक खमेर साम्राज्य की सीमाओं के आधार पर इस मंदिर पर अपना दावा करता है। जिसमें आधुनिक कंबोडिया और थाईलैंड के कुछ हिस्से शामिल थे। थाईलैंड का कहना है कि, यह उसके सुरिन प्रांत में है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने इसे कंबोडिया को दे दिया है लेकिन थाई सैनिक इसके आसपास के क्षेत्र में मौजूद हैं।

फरवरी में कंबोडियाई सैनिकों ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया और राष्ट्रगान गाकर वहां तैनात थाई सैनिकों को चुनौती दी। अप्रैल तक युद्धविराम हो गया था।

मंदिर परिसर को लेकर पूर्व तनाव :

2008 में भी तनाव बढ़ गया था जब कंबोडिया ने परिसर के एक हिस्से, प्रीह विहियर मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध करने का प्रयास किया था। हालांकि बाद में यूनेस्को का दर्जा प्रदान कर दिया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने 1962 में ही प्रीह विहियर मंदिर कंबोडिया को दे दिया था, लेकिन थाईलैंड आसपास की जमीन पर अपना दावा करता रहा है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने बाद में यह भी स्पष्ट किया था कि मंदिर के आसपास की जमीन भी कंबोडिया की है इसके बावजूद तनाव जारी है।

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