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इस कंपनी ने लॉकडाउन में नहीं निकाला कोई कर्मचारी, खाने-पीने में खर्च किये 30 करोड़ रुपये

Update: 2020-09-15 08:26 GMT

स्वदेश वेबडेस्क। कोरोना महामारी के समय जहां कई कंपनियों ने आर्थिक परेशानी से जूझ रहे अपने वर्करों को नौकरी से निकलवा दिया। वहीँ अंडरगार्मेंट्स बनाने वाली मिल्स के मालिक रामास्वामी ने अपने किसी भी वर्कर को नौकरी से नहीं निकाला।  तिरुपुर और कोयंबटूर में रामास्वमी की 4 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें 22 हजार कर्मचारी काम करते है।  

कोरोना संकट के चलते घोषित हुए लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार होने के कारण जहां मजदूर हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर जाने के लिए मजबूर थे।  वहीँ रामास्वामी ने अपने प्रवासी 17500 वर्कर्स में से किसी को भी नहीं निकाला। सभी को अपनी फैक्ट्री के ही हॉस्टलों में ठहरने की सुविधा दी। उन्होंने वर्कर्स को आश्वासन दिलाया की जब तक लॉकडाउन है आप बिना किसी चिंता के यहाँ हॉस्टल में रहिये। आपके खाने पीने, रहने की व्यवस्था वह करेंगे।  

रामास्वामी ने एक मीडिया समूह को दिए इंटरव्यू में बताया की लॉकडाउन के दौरान एक वर्कर का मासिक 13500 रूपए आया। जिसके हिसाब से दो महीने में कुल 30 करोड़ रुपया खर्च आया।उन्होंने खाने -पीने की व्यवस्था के साथ किसी भी वर्कर की सैलरी भी नहीं कांटी।  उन्होंने इस इंटरव्यू में बताया की मैंने दो बातें सोची की पहली तो यह मेरी नैतिक जिम्मेवारी है की मैं इनको बेरोजगार ना करूं क्योकि मुझे इतना बड़ा आदमी बनाने में इन्हीं लोगो का हाथ है। दूसरी बात यह थी की मुझे लॉकडाउन के बाद स्किल्ड लेबर नहीं मिलेगी। बता दें की इस कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 3250 करोड़ है।  देश एवं विदेश की कई बड़ी कंपनियां केपीआर की मिल्स से अपना माल बनवाते है। कोरोना काल में केपी रामास्वामी ने अपने वर्कर्स के लिए उच्च स्तरीय मानवीय दृष्टिकोण अपनाया।

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