ध्वज-स्तंभ पर पुनः गूंजेगा 'जय श्रीराम' का जयघोष

Update: 2025-11-15 06:50 GMT

अमावस्या से आरंभ होगा अयोध्या ध्वजारोहण महोत्सव

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में ध्वजारोहण समारोह की पावन आरंभ से पहले ही परिसर दिव्य आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत है। मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या के शुभदिन, 20 नवंबर को कलश यात्रा के साथ इस अत्यंत मंगलमय आयोजन की विधिवत शुरुआत होगी। परंपरा वही, भावना वही, जिस शैली में द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा के समय मंदिर के प्रथम तल, शेषावतार मंदिर और परकोटे के छह मंदिरों में कलश यात्रा निकाली गई थी, उसी विधि से यह कलश शोभायात्रा पुनः अलंकृत होगी।

मुख्य यजमान के रूप में श्रीराम

जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के न्यासी डॉ. अनिल मिश्र अपनी धर्मपत्नी सहित अनुष्ठान का नेतृत्व करेंगे। अन्य यजमानों की सहभागिता से यह यात्रा श्रद्धा का विराट रूप धारण करेगी। इस बार 108 पीतवस्त्रधारी महिलाएँ यात्रा की शोभा बढ़ाएँगी। इनके आधार कार्ड पूर्व में ही सत्यापित कराए जा रहे हैं, ताकि मंदिर परिसर में प्रवेश के बाद उन्हें रामलला के सहज, सुगम और दिव्य दर्शन कराए जा सकें। अग्रिम पंक्ति में युवा कार्यकर्ताओं का दल भगवा ध्वज उठाए चलेगा—उसी ध्वज का प्रतिरूप, जो अगले दिनों राम मंदिर के शिखर पर लहराकर आस्था का आकाश आलोकित करेगा।

ये रहेगा कार्यक्रम

कलश यात्रा में बैंड-बाजे की मंगल ध्वनियाँ और राम रथ की राजसी छटा श्रद्धालुओं को भावविभोर कर देंगी। वेद विद्यालय के प्रधानाचार्य आचार्य इंद्रदेव मिश्र के अनुसार, कलश यात्रा का शुभारंभ अपराह्न 2:30 बजे होगा। उस दिन 'अमृत काल' दोपहर 2:14 से 4:02 बजे तक रहेगा, जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 10:58 बजे से अगले दिन दोपहर 1:55 बजे तक प्रभावी रहेगा। इन श्रेष्ठ मुहूर्तों के कारण 20 नवंबर अनुष्ठान की शुरुआत हेतु अत्यंत पावन माना गया है।

21 नवंबर से ध्वजारोहण के मुख्य अनुष्ठानों का प्रारंभ

प्रथम दिवस पर चतुर्वेदों एवं अन्य दिव्य ग्रंथों का पारायण, यज्ञ मंडप में वैदिक हवन, गणपति पूजन, नंदी श्राद्ध, मंडल पीठ स्थापना, अरणि-मंथन से अग्नि प्रज्वलन, नवग्रह पूजन तथा देव-विग्रहों के मंत्रों द्वारा हवन सम्पन्न किए जाएंगे। यज्ञ मंडप के चारों द्वारों का विशिष्ट पूजन भी विशेष महत्व रखता है। इस महायज्ञ में अयोध्या, काशी और दक्षिण भारत के 108 वैदिक विद्वानों की उपस्थिति रामकथा की ध्वनि को और अधिक तेजस्वी बनाएगी।

ध्वजारोहण का शुभ मुहूर्त काशी के विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निर्धारित किया है। सभी आचार्य 19 नवंबर को अयोध्या में एकत्रित होंगे।

Similar News