शांत और स्थिर मन से ही विश्व शांति और विश्व एकता की नींव बनती है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ब्रह्माकुमारी बहनों को एकता और विश्वास का दिव्य कलश देकर और दीप प्रज्ज्वलित कर वार्षिक थीम का राज्य स्तरीय शुभारंभ किया। सुल्तानपुर रोड स्थित गुलजार उपवन राजयोग ट्रेनिंग सेंटर में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने अपने संबोधन की शुरुआत “ओम शांति” से की।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व एकता और विश्वास तभी टिकता है जब मन शांत, विचार स्वस्थ और भावनाएं शुद्ध हों। “जब हम स्वयं से संवाद करते हैं तो अनुभव होता है कि शांति और आनंद हमारे भीतर है। शांत और स्थिर मन समाज में शांति का बीज है और वही विश्व शांति और विश्व एकता की नींव बनता है।”
उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह संगठन विश्व शांति, मानवीय मूल्य, नारी सशक्तिकरण, आंतरिक जागृति, शिक्षा और ध्यान के क्षेत्र में प्रेरक कार्य कर रहा है। “भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति ने सदैव विश्व को ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का संदेश दिया है। यह विचार आज और अधिक प्रासंगिक है।”
राष्ट्रपति ने भारत सरकार की नीतियों की भी सराहना की और कहा कि योग, ध्यान, मूल्य आधारित शिक्षा, पर्यावरण जागरूकता और महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा किये जा रहे राजयोग मेडिटेशन और सकारात्मक जीवन शैली के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मेडिटेशन आत्मा को अजर-अमर अनुभव कराता है और सकारात्मक गुणों को विकसित करता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आतंकवाद और उपद्रव के पीछे मन की चंचल प्रवृतियां होती हैं। सकारात्मक मन सकारात्मक कार्यों की ओर ले जाता है और ब्रह्माकुमारी संगठन इस दिशा में सकारात्मक माहौल बनाने में योगदान दे रहा है।
कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
• ब्रह्माकुमारीज की संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके संतोष दीदी
• अतिरिक्त महासचिव बीके डॉ. मृत्युंजय भाई
• माउंट आबू ज्ञान सरोवर परिसर की निर्देशिका बीके प्रभा दीदी
• अभियंता प्रभाग के अध्यक्ष बीके मोहन सिंपल भाई, बीके सूर्य भाई, पीआरओ बीके कोमल भाई
• लखनऊ के 400 से अधिक बिजनेसमैन, 100 से अधिक डॉक्टर, 3000 से अधिक ब्रह्माकुमारीज
कार्यक्रम का उद्देश्य धर्म और जाति भुलाकर एकता, भाईचारा और विश्वास का संदेश पूरे प्रदेश में फैलाना है।