Allahabad: Religious Conversion: जिन्होंने छोड़ा हिंदू धर्म उन्हें अब नहीं मिलेगा आरक्षण, यूपी हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
High Court Decision: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्म परिवर्तन मामले में आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा- हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई या अन्य धर्म अपनाने वाले व्यक्ति को नहीं मिलेगा एससी कोटे का लाभ।
इलाहाबादः वर्तमान समय में धर्मांतरण से जुड़े कई मामले सामने आ रहे हैं। लोग चाहे मजबूरी में या फिर अपनी सुविधा अनुसार धर्म बदल ले रहे हैं। इस बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्मांतरण से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई या किसी अन्य धर्म को अपनाने वाले व्यक्ति को एससी के लाभ उठाने का अधिकार नहीं मिलेगा।
दरअसल, कोर्ट ने आरक्षण की सुविधाओं को हिंदू समुदाय से जुड़े लोगों तक ही सीमित बताते हुए इसे संविधान की भावना के अनुसार ही बताया है। उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन के बाद भी कोई एसी कोटे का लाभ ले रहा है तो संविधान के साथ धोखा है। कोर्ट का निर्देश महाराजगंज जिले के एक निवासी के द्वारा लगाई याचिका पर आया है।
धर्म परिवर्तन के बाद SC एक्ट का लाभ लेने पर कार्रवाई
इलाहाबाद ने धर्मांतरण पर कड़ा रुख दिखाते हुए कहा कि अगर कोई हिंदू ईसाई धर्म अपना चुका है और इसके बाद भी एससी कोटे का लाभ ले रहा है। तब यह संविधान के साथ धोखा है। हाई कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों की जांच की जाए। साथ ही 4 महीने के भीतर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें।
जिसमें जाति व्यवस्था नहीं, वह लाभ का हकदार नहीं
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि जिन्होंने जातिगत भेदभाव का सामना सबसे अधिक किया है। एससी-एसटी ( अत्याचार निवारण) एक्ट का उद्देश्य उन वर्गों की सुरक्षा करना है। वहीं, यदि कोई व्यक्ति ऐसा धर्म अपनाता है जिसमें जाति व्यवस्था को मान्यता नहीं है तो वह धर्मांतरण के बाद इन लाभों का हकदार नहीं रह जाता है। इस फैसले के दौरान कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सी सेल्वेरानी केस का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि केवल सुविधा पाने के लिए धर्म बदलना फिर लाभ जारी रखना संविधान के साथ धोखा है।
क्या है मामला
दरअसल, पूरा मामला महाराजगंज जिले का है। यहां के एक निवासी और याचिका लगाने वाले जितेंद्र साहनी का है। उन पर आरोप है कि उन्होंने ईसाई धर्म अपनाने के बाद भी खुद को हिंदू बताते हुए आरक्षण का लाभ लिया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया है। साथ ही महाराजगंज के डीएम को तीन महीने के भीतर जांच पूरी कर कार्रवाई करने के निर्देश दिया है। बता दें कि जितेंद्र साहनी पर गरीब हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन कराने के साथ ही हिंदू देवताओं के अपमान के आरोप हैं।