पान के पत्ते में अल्जाइमर के इलाज का नया सुराग: लखनऊ विश्वविद्यालय की बड़ी खोज
धार्मिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य दृष्टि से महत्वपूर्ण पान के पत्ते ने अब अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में नई उम्मीद जगाई है। लखनऊ विश्वविद्यालय की बायोजेरोन्टोलॉजी और न्यूरोबायोलॉजी प्रयोगशाला की वैज्ञानिक टीम ने पान के पत्ते में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व हाइड्रॉक्सीचाविकोल को दवा के रूप में इस्तेमाल करने की संभावनाओं का पता लगाया है।
अल्जाइमर और शोध का महत्व
अल्जाइमर रोग को दुनियाभर में डिमेंशिया का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। इसमें धीरे-धीरे याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता कम होती जाती है। वर्तमान में इस रोग का पूर्ण इलाज उपलब्ध नहीं है, और उपलब्ध दवाएँ केवल सीमित राहत देती हैं। इस कारण वैज्ञानिक लगातार नई दवाओं की खोज में लगे हैं।
शोध की मुख्य बातें
शोध का नेतृत्व कर रहे डॉ. नितीश राय ने बताया कि कंप्यूटर आधारित तकनीकों से यह देखा गया कि हाइड्रॉक्सीचाविकोल मस्तिष्क में उन प्रोटीनों पर असर डालता है जो अल्जाइमर से जुड़े हैं।शोध के दौरान 88 जीन की पहचान हुई जो इस तत्व और बीमारी दोनों से जुड़े पाए गए।इनमें COMT, HSP1 और GAPDH नामक तीन प्रोटीन सबसे महत्वपूर्ण हैं। ये प्रोटीन दिमाग में संदेश पहुंचाने और मस्तिष्क कोशिकाओं की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं।हाइड्रॉक्सीचाविकोल इन प्रोटीनों से अच्छी तरह जुड़ता है और बीमारी से जुड़े कई कारणों पर समान समय में असर डाल सकता है।इस तत्व में दवा जैसे गुण पाए गए हैं और यह शरीर में आसानी से अवशोषित हो सकता है। इसलिए इसे भविष्य में मौखिक दवा (गोलियों) के रूप में विकसित किया जा सकता है।
आगे की राह
डॉ. राय के अनुसार, यह खोज अभी प्रारंभिक चरण में है। इसे प्रयोगशाला और मरीजों पर परीक्षणों के बाद ही उपयोग में लाया जाएगा।पान के पत्ते में पाया जाने वाला यह तत्व सस्ता, सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध है।इसे भविष्य में अल्जाइमर रोग के बेहतर विकल्प के रूप में विकसित करने की योजना है।यह खोज अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्पों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।