ओमप्रकाश राजभर का बड़ा ऐलान: मऊ उपचुनाव में उतरेंगे मैदान में, 'छड़ी जिंदाबाद' से भरी हुंकार
UP Politics: यूपी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है l
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गर्म होने वाली है l सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने मऊ सदर विधानसभा उपचुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है l यह वही सीट है जो अब्बास अंसारी की विधायकी खत्म होने के बाद खाली हुई है l खास बात यह है कि अब्बास अंसारी सुभासपा के टिकट पर विधायक बने थे और अब एक बार फिर राजभर इस सीट को अपने पाले में करने की पूरी तैयारी में हैं l
ओमप्रकाश राजभर ने क्या कहा
ओमप्रकाश राजभर ने मऊ में एक जनसभा के दौरान कहा, "2017 में सिर्फ 6 हजार वोटों से हार हुई थी 2022 में हम जीते और अब फिर से पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेंगे l चुनाव चिन्ह ‘छड़ी’ है और नारा है 'छड़ी जिंदाबाद' l" मंच से ये ऐलान करते हुए राजभर ने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया l इससे साफ संकेत मिलते हैं कि आने वाले दिनों में मऊ की सियासत में जबरदस्त हलचल देखने को मिल सकती है l
हालांकि, इस ऐलान के साथ ही सियासी गलियारों में ये चर्चा भी तेज हो गई है कि क्या ओमप्रकाश राजभर बीजेपी से बगावत करने की तैयारी में हैं? क्योंकि वर्तमान में सुभासपा, बीजेपी गठबंधन का हिस्सा है l लेकिन राजभर की हालिया गतिविधियां और बयान कुछ और ही इशारा कर रहे हैं l
राजभर ने अतरौलिया के डाक बंगले में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा की l उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, "पार्टी की असली ताकत उसके जमीनी कार्यकर्ता होते हैं l वही लोग हैं जो संगठन को गांव-गांव तक पहुंचाते हैं l" इस बैठक में कार्यकर्ताओं ने भी अपनी क्षेत्रीय समस्याएं और अनुभव साझा किए साथ ही संगठन को मज़बूत करने का संकल्प दोहराया l
इसी दौरान राजभर ने पंचायती राज विभाग के अधिकारियों से भी मुलाकात की और विभागीय योजनाओं, पंचायत सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की l यह साफ है कि राजभर अब सिर्फ चुनावी तैयारी में नहीं बल्कि पूरे सिस्टम को साधने की कोशिश में भी लगे हैं l
राजभर की इन गतिविधियों से यह तो साफ हो गया है कि मऊ उपचुनाव उनके लिए सिर्फ एक चुनाव नहीं बल्कि सियासी प्रतिष्ठा की लड़ाई है l ‘छड़ी जिंदाबाद’ का नारा इस बार सिर्फ वोट मांगने का तरीका नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है कि राजभर अभी भी मैदान में डटे हैं और अपने दम पर मुकाबला करने को तैयार हैं l