डॉ. नीलमेघ चतुर्वेदी
देश में अन्ना का उत्पादन अधिक है और भंडारण क्षमता कम। फलस्वरूप हर साल उत्पादन का एक भाग नष्ट हो जाता है। या तो बारिश में अन्ना भीगता है, चूहे का जाते हैं, या भीगने के बाद गुणवत्ता खाने योग्य नहीं रहती और किण्वन (फर्मेटेशन) प्रक्रिया शुरू हो जाती है। किसान का पसीना खेत में टपकता है, अन्ना उपजता है और एक भाग यूं ही नष्ट होता है। हर साल अनाज उत्पादन में बढ़ोतरी पर जोर है। किंतु उस गति से भंडारण क्षमता में वृद्धि नहीं होती। केंद्र सरकार ने इस विसंगति के दूर करने के प्रयास किए हैं। सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी और विकेंद्रीकृत भंडारण सुविधा स्थापित करने का फैसला किया है। इससे न केवल अन्न् की बर्बादी रूकेगी अपितु आपातकालीन भंडारण सुविधा सुदृढ़ होगी। देश के किसान निर्यात बाजार की आकर्षक कीमतों से भी लाभान्वित होंगे। साथ ही रोजगार के विकेंद्रीकृत अवसर भी उपलब्ध होंगे। विकसित देशों में उत्पादन से अधिक भंडारण सुविधा है। भारत भी 5 से 10 सालों के भीतर इस स्थिति में होगा। तब भारत विकसित अर्थव्यवस्था की एक औपचारिकता पूर्ण कर लेगा। खेती-बाड़ी और बागवानी का विश्व परिदृश्य स्थिति को और स्पष्ट करता है। विश्व में कुल 138 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल खेती और बागवानी योग्य है। भारत में यह क्षेत्रफल 16 करोड़ है। इस प्रकार विश्व की कुल खेती योग्य जमीन का 11 प्रतिशत भारत में है। विश्व की कुल आबादी 790 करोड़ है, जबकि भारत में 140 करोड़ आबादी है। इस प्रकार विश्व की 18 प्रतिशत आबादी भारत में निवास करती हंै। भारत विश्व की कुल 11 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि से विश्व की 18 प्रतिशत आबादी को खाद्यान्ना उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भारत पर है। ऐसे में भंडारण क्षमता का विस्तार महत्वपूर्ण है। देश में भंडारण सुविधा के साथ उत्पादन बढ़ोतरी पर भी ध्यान केंद्रित है और हर साल बढ़ोतरी के आंकड़े सामने आते हैं। केंद्र सरकार ने केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की अगुआई में भंडारण क्षमता आगामी पांच वर्षों में सात करोड़ टन बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। उत्पादन के लिए प्रति हेक्टेयर उत्पादन वृद्धि पर कार्य जारी है। गुणवत्तापूर्ण और प्रमाणित बीज उलब्धता के लिए बहुराज्यीय सहकारी संस्थाएं अधिनियम 2002 के तहत राष्ट्रीय बीज उत्पादक सहकारी संस्था का गठन और पंजीयन हो चुका है। खेती योग्य जमीन का रकबा बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जलग्रहण क्षेत्र विकास जारी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 31 मई 2023 को देश के सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी भंडारण क्षमता विकसित करने की योजना स्वीकृत दी है। योजना में एक तीर से अनेक लक्ष्यों का संधान है। सहकारिता मंत्रालय के नेतृत्व में योजना क्रियान्वित होगी। 5 वर्षों में क्रियान्वयन पश्चात यह विश्व की सबसे बड़ी सहकारी अनाज भंडारण क्षमता होगी। योजना द्वारा भारत ने विकसित अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित होने की दिशा में कदम रखा है। विकसित देशों में भंडारण क्षमता उत्पादन से अधिक है। भारत में उत्पादन अधिक और भंडारण क्षमता कम। इस कमी को दूर करने की दिशा में उठाया गया कदम भारत सरकार का महत्वाकांक्षी स्वप्न है।
देश में कृषि उत्पादन 31 करोड़ टन है, जबकि भंडारण क्षमता 14.50 करोड़ टन। नवउद्घोषित योजना में भंडारण क्षमता सात करोड़ टन और बढ़ाने का प्रावधान हैै। इस प्रकार पांच सालों में देश की भंडारण क्षमता 21.50 करोड़ टन होगी। फिर भी 31 करोड़ टन उत्पादन की तुलना में 9.50 करोड़ टन भंडारण क्षमता तथा आगामी पांच वर्षों के दौरान उत्पादन में होने वाली वृद्धि के आधार पर क्षमता विकास की चुनौती सामने होगी। इसके बाद ही भारत वर्तमान उत्पादन आंकड़ों के अनुसार उत्पादन से अधिक भंडारण क्षमता विकसित कर, खाद्यान्ना भंडारण में विकसित अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित होगा। इधर खाद्यान्ना उत्पादन में प्रतिवर्ष वृद्धि का लक्ष्य रहता है। इसलिए पांच वर्ष बाद भंडारण क्षमता में इसी अनुसार बढ़ोतरी लक्ष्य निर्धारित करना होगा। वैसे भी पांच साल में भंडारण में सात करोड़ टन की बढ़ोतरी की योजना अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। कारण, स्वाधीनता के 75 वर्षों में जितनी भंडारण क्षमता (14.50 करोड़ टन) विकसित की गई, उसका लगभग आधा भाग पांच सालों में निर्मित होगा। योजना केंद्र में सत्तारूढ़ नरेन्द्र मोदी सरकार के हिमालयीन दृष्टिकोण की परिचायक है। एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय को कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौंपना है। इसका कारण भी स्पष्ट है। इस मंत्रालय ने गठन के बाद से श्रेष्ठ कार्यदक्षता प्रदर्शन किया है। सहकारिता मंत्रालय देश का सबसे युवा मंत्रालय है। 6 जुलाई 2021 को इसके गठन की घोषणा केंद्रीय अधिसूचना द्वारा की गई। देश के गृहमंत्री अमित शाह को प्रथम सहकारिता मंत्री बनाया गया। उनके नेतृत्व में प्रशासनिक टीम ने कर्मठता के साथ 8 सहकारी योजनाएं जमीन पर उतारीं। लगभग 30 करोड़ सहकारी सभासदों के समाजार्थिक और सांस्कृतिक उत्थान में इन योजनाओं का बड़ा महत्व है। योजनाओं की तैयारी, घोषणा और क्रियान्वयन की गति को दृष्टिगत रख केंद्र ने विश्व सहकारी क्षेत्र की इस सर्वाधिक बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना का क्रियान्वयन दायित्व भी केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय को सौंपा। भारतीय सहकारी आंदोलन विश्व का सबसे बड़ा सहकारी आंदोलन है। 30 करोड़ सभासदों की संख्या को ही लें तो यह विश्व की तीसरे नंबर की आबादी है। आंदोलन विविधिकृत है। वेद-उपनिषदों में प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से सहकारी प्रणाली वर्णित है। नवघोषित योजना 'भारतीय सहकारी आंदोलन का विश्व गौरवÓ है। योजना की सबसे महत्वपूर्ण बात राजकोष पर इसका अतिरिक्त भाररहित होना है। वर्ष 2023-24 के बजट में सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना प्रारंभ सम्मिलित थी। योजना क्रियान्वयन में केंद्र द्वारा चार मंत्रालयों के लिए वर्ष 2023-24 में दिया बजट आवंटन उपयोग होगा। इसके लिए अंतरमंत्रालयीन समिति गठित की गई है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अंतरमंत्रालयीन समिति अध्यक्ष होंगे। समिति में कृषि और किसान कल्याण मंत्री, उपभोक्ता मामलों के मंत्री, खाद्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली मंत्री, खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग मंत्री और संबंधित मंत्रालयों के सचिव दिशा-निर्देशों में आवश्यक संशोधन के लिए सदस्य होंगे। केंद्रीय सहकारिता सचिव सदस्य संयोजक होंगे। योजना चरणबद्ध रूप में क्रियान्वित होगी। प्रारंभ में देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चयनित 10 जिलों में मार्गदर्शी स्वरूप में इसका श्रीगणेश होगा। प्राप्त प्रतिसाद (फीडबैक) योजना के अखिल भारतीय स्तर पर क्रियान्वयन में सहायक होगा। योजना के तहत 1 लाख करोड़ रुपए का व्यय प्रस्तावित है। प्रत्येक विकास खंड (ब्लॉक) में 2 हजार टन भंडारण क्षमता विकसित होगी। भंडारण विकेंद्रीकृत स्वरूप में होगा। खेतों से भंडारण केंद्र तक उपज ले जाने में समय, ईंधन और खर्च की बचत होगी। अभी केंद्रीयकृत भंडारण प्रणाली के कारण परिवहन और श्रम लागत बढ़ती है। साथ ही मोटे तौर पर भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) पर भंडारण प्रणाली का भार आता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं सहकारिता के विशेषज्ञ हैं)