अनुपमा अग्रवाल
राष्ट्र विरोधी इस्लामिक ताकतें देश में नए-नए जिहाद चलाकर देश को खण्डित करने का कुचक्र रचती रही हैं। परंतु इस बार कट्टरपंथी जिहादियों द्वारा अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए देश के युवा और मासूम बच्चों को निशाना बनाकर उन्हें मतांतरण के लिए उकसाया जा रहा है। कट्टरपंथी जिहादी ऑनलाइन गेम्स के माध्यम से बड़ी संख्या में, बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं और उनके मन में हिन्दू धर्म के प्रति नफरत और अविश्वास पैदा कर, इस्लाम धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि हिन्दू राष्ट्र भारत की विकास की नींव कही जाने वाली किशोर व युवा संपदा को बर्बाद कर अपनी विस्तारवादी मानसिकता को अंजाम तक पहुंचा सकें। कट्टरपंथियों का यह खतरनाक जिहादी रूप बालकों के कोमल मन में हिन्दू धर्म के प्रति नफरत पैदा करके राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहा है। जिहादियों द्वारा भारत समेत विश्व के कई देशों में ऑनलाइन गेम जिहाद को अंजाम दिया जा रहा है और यह कार्य पूरी तरह विदेशी फंडिंग से संचालित हो रहा है। अभी तक तो कट्टरपंथी जिहादी लव जिहाद के माध्यम से हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए हिन्दू लकड़ियों और महिलाओं को अपना निशाना बनाकर उनकी अस्मिता से खेलने का घिनौना खेल खेल रहे थे जिसके तहत जिहादी हिन्दू नाम रखकर व अपनी असल पहचान छिपा कर हिन्दू लड़कियों और महिलाओं को प्रेम जाल में फंसा कर पहले उनका मतांतरण कराते हैं, तत्पश्चात उनसे निकाह कर लेते हैं, मना करने की स्थिति में लड़की की बर्बरता पूर्वक हत्या कर दी जाती है। इसी तरह जमीन जिहाद के द्वारा जिहादी सार्वजनिक स्थानों पर जबरन कब्जा कर रातों-रात उस पर मजार बनाकर जमीन जिहाद को अंजाम दे रहे हैं। अधिक से अधिक बच्चे पैदा कर अपनी जनसंख्या बढ़ाने के जिहाद से तो हम सब भलीभांति परिचित ही हैं। जबकि थूक जिहाद जिहादियों की गंदी व वीभत्स मानसिकता को उजागर करता है। इसके अतिरिक्त जिहादी मंदिरों में नमाज पढ़ना, मूर्तियों को खण्डित करना, देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी कर उनके गन्दे पोस्टर बनाकर व ईश्वर के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाकर योजनाबद्ध तरीके से अपने कुकृत्य को अंजाम दे रहे थे। अब इसी क्रम में कट्टरपंथी जिहादियों ने किशोरावस्था के बालकों का ब्रेनवाश करके उन्हें भारतीय गौरवशाली सनातन संस्कृति एवं सभ्यता से वंचित करने के लिए ऑनलाइन गेम्स को अपना हथियार बना कर बालकों पर निशाना साधना शुरू कर दिया है और धर्म के प्रति अल्पज्ञान के चलते युवा वर्ग जिहादी मानसिकता का शिकार बन रहा है।
ऑनलाइन गेम्स के तहत जिहादी सुनियोजित तरीके से बच्चों को पहले तो गेम्स में हराते हैं, फिर मैसेज के द्वारा उनसे संपर्क स्थापित कर उन्हें कलमा पढ़कर गेम जीतने का विश्वास दिलाते हैं साथ ही कट्टरपंथी अलगाववादी जाकिर नाइक की वीडियो सुनने के लिए युवाओं को प्रेरित करते हैं और उसके बाद मतांतरण के लिए तैयार करते हैं। यूपी के प्रयागराज में इस तरह का मामला संज्ञान में आया जहां हिन्दू ब्राह्मण परिवार के बालक ने जिहादी के संपर्क में आकर न केवल अपना जनेऊ तोड़ कर फेंक दिया बल्कि जालीदार टोपी पहनकर नमाज पढ़ने लगा। ऐसी ही एक घटना गाजियाबाद में सामने आई जहां बारहवीं पास हिन्दू जैन परिवार के बालक का ऑनलाइन गेम्स के जरिये ब्रेनवाश कर दिया गया जिससे वह जिम के बहाने दिन में पांच बार मस्जिद में नमाज पढ़ने जाने लगा। इसी तरह देश के पांच राज्य केरल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान व बंगाल में गेम जिहाद के माध्यम से बड़ी संख्या में बालकों और युवाओं का ब्रेनवॉश करके वर्चुअल मतांतरण कराया जा रहा है उनके इस कुकृत्य में स्थानीय मुल्ला-मौलवी पूरा सहयोग करते हैं। राष्ट्र विरोधी ताकतों का शिकार ज्यादातर वे युवा एवं बालक हो रहे हैं जो मोबाइल पर घंटों गेम्स खेलने के आदी हैं। इन्हीं बालकों को ट्रेस करके जिहादी गेम्स के लिए इन्हें वर्चुअल कर्ज उपलब्ध कराते हैं और बाद में कर्ज की मनमानी रकम वसूलने के लिए बालकों पर दवाब बनाते हैं ऐसा न करने की स्थिति में उन्हें धमकाते हैं और बालकों को ऐसे कुचक्र में फंसा देते हैं,परिजनों की हत्या की धमकी देते हैं। जिससे बाहर निकलना उसके लिए नामुमकिन हो जाता है जिससे वे आत्महत्या करने या मतांतरण के लिए तैयार हो जाते हैं। देश की पीढ़ी को बर्बाद करने की जिहादी सोच बेहद खतरनाक और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बेहद चिंताजनक है। विभिन्न प्रकार के जिहाद से संबंधित सैकड़ों मामले आज भी अदालत में विचाराधीन हैं। कुछ एक राज्य तो ऐसे हैं जहां की सरकार की शरण में ही जिहादी अपने मंसूबों को बेखौफ अंजाम तक पहुंचा रहे हैं और तो और बंगाल में तो मतांतरण कराने वाले घुसपैठियों को आरक्षण की रेवड़ियां बांटी जा रही हैं। (लेखिका वरिष्ठ साहित्यकार हैं)