गरीबों की कसौटी पर खरी मोदी सरकार

मोदी सरकार के 9 वर्ष

Update: 2023-06-26 20:30 GMT

प्रो. मनमोहन श्रीवास्तव

गरीब की एक ही अभिलाषा होती है कि उसके जीवन में रोटी,कपड़ा और मकान की व्यवस्था हो जाए। वे अपने परिवार की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके, अपने परिवार का सही ढंग से पालन पोषण कर सके और यदि संभव हो सके तो अपने परिवार के सदस्यों को पढ़ा-लिखाकर अच्छा इंसान बना सके। ये सब जहां गरीब के सपने होते हैं वहीं इन सपनों को साकार करना अच्छी सरकार का कर्तव्य माना जाता है। वास्तव में अच्छी सरकार भी वही है, जो देश के अंतिम जन की चिंता करते हुए उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए ईमानदारी से प्रयास करे। इस दृष्टि से यदि हम वर्तमान केन्द्र सरकार के कार्यों की समीक्षा करें तो वह कसौटी पर खरी उतरती दिखाई देती है।

मोदी जी ने जब से प्रधानमंत्री पद संभाला है तब से गरीबों की समस्याओं को,उनकी तकलीफों को,उनकी पीड़ा को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता के आधार पर न सिर्फ योजनाएं बनाई अपितु उनके क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान भी दिया। जब भी मोदी जी ने गरीबों के हित में अपनी योजनाओं को सार्वजनिक किया, उन्हें जुमलेबाज कहा गया, गरीबों के सपनों से खेलने वाला बताया गया। किन्तु जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा गरीबी हटाओ देश बचाओ का नारा 1971 के आम चुनाव में दिया गया था तब किसी ने भी इस पर आपत्ति नहीं ली। उनके शासन काल में गरीबी न हटने पर भी उन्हें जुमलेबाज नहीं कहा। इसके विपरीत विपक्ष ने भी उस विचार को उत्तम माना, गरीब हितैषी बताया था।

आज मोदी जी के नेतृत्व में गरीब हितैषी तमाम योजनाओं को धरातल पर उतारा जा रहा। सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जा रहा है कि अधिक से अधिक गरीब लोगों को इसका लाभ मिल सके और भ्रष्टाचार की आंच इस पर नहीं पड़े। शायद इसी कारण आज देश का गरीब अपने सपने साकार होते हुए देख रहा है। गरीबों के मन में एक विश्वास जागने लगा है कि कोई तो सरकार है जो अच्छे सपने भी दिखाती है और उन्हें साकार भी करती है। ऐसे ही कुछ सपनों से रूबरू कराना मेरा इस लेख का उद्देश्य है। हर गरीब का सपना होता है कि उसका भी अपना घर हो, जिसे पर उसका मालिकाना हक हो। आज प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हजारों पक्के घरों का निर्माण गरीबों के लिए हो रहा है। 2.3 करोड़ को तो अपना घर मिल भी चुका है। हर गरीब महिलाओं का वो सपना साकार हो रहा है जिसमें वे रोज ईश्वर से प्रार्थना करती थी कि उन्हें चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाए। वो सोचती थी कि उनके जीवन में वह दिन कब आएगा, जब उन्हें भी गैस पर खाना बनाने का अवसर मिलेगा। 2016 से प्रारंभ पीएम उज्जवला योजना के तहत अब तक 10 करोड़ से अधिक मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। इस समय देश में 31.36 सक्रिय एलपीजी कनेक्शन है जिनके माध्यम से महिलाएं आज धुएं से होने वाली बीमारियों से मुक्त हैं और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही हैं। हर महिला का मां बनने का सपना होता है किंतु गरीब परिवार में महिलाएं डरती थी कि बच्चे के जन्म के खर्च की व्यवस्था कैसे होगी। पीएम मातृ वंदना योजना ने इस समस्या का समाधान उन्हें दे दिया। इस योजना में गर्भवती होने पर 3000 रु. की सहायता दी जाती है तथा बच्चे के जन्म होने पर 2000 रु. की अतिरिक्त सहायता राशि दी जाती है । दूसरे बच्चे की स्थिति में यह राशि 5000 से बढ़कर 6000 रु. हो जाती है। आज गरीबों का सपना साकार हो रहा है कि अब उन्हें पीने के पानी के लिए तथा नहाने आदि के लिए घर से बाहर दूर नहीं जाना होगा। वे अपने घरों में ही नल से शुद्ध पानी प्राप्त कर सकेंगे। 1919 से नल-जल-योजना के माध्यम से 8.5 करोड़ नए नल कनेक्शन दिए गए हैं जबकि 2019 के पूर्व 3.24 करोड़ लोगों को ही यह सुविधा प्राप्त थी। आज 60 प्रतिशत ग्रामीण घरों सहित 11.6 करोड़ घरों को और 58 करोड़ लोगों को घर में नल कनेक्शन के माध्यम से स्वच्छ जल मिल रहा है। अब गरीबों को शौच के लिए खुले में घर से बाहर दूर नहीं जाना होगा। अब प्रधानमंत्री ग्रामीण शौचालय अनुदान योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर गरीब परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए प्रति शौचालय रु.12000 की राशि दी जा रही है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत भारत के सभी गांव- जिलों में 100 मिलियन से भी अधिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। इसका सबसे अधिक लाभ स्त्री वर्ग को मिल रहा है। वे इस कार्य के दौरान होने वाली छेड़- छाड़ से अब अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रही हैं। गरीब की एक बड़ी समस्या सोते जागते सताया करती थी कि यदि आज काम नहीं मिला तो परिवार के खाने की आपूर्ति कैसे होगी। आज वे निश्चिंत है कि उनको और उनके परिवार को भूख से नहीं जूझना है।             (लेखक स्तंभकार हैं)

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