Ram Navami : एक आदर्श प्रभु श्री राम

  • जीवन में मनुष्य इतना भागदौड़ कर रहा है कि वह अपने स्वभाव, चिड़चिड़ापन से रिश्ते खत्म कर रहा है धैर्य संयम कैसे जीवन में लाया जा सकता, ये भगवान श्री राम से सीखना चाहिए...
  • लेखक - अमित राव पवार

Update: 2024-04-16 13:48 GMT

अयोध्या में विराजमान रामलला

वर्तमान समय में जब परिवार बिखर रहे है,
भाई-भाई से अलग हो रहे है,
मनुष्य अपना धैर्य-संयम खोता जा रहा है,
पुत्र माता-पिता के आदेश का पालन करता दिखाई नहीं दे रहा।
युवा संघर्षों से घबरा कर गलत रास्तों पर जा रहे हैं,
मित्रता भी स्वार्थपूर्ण होती जा रहा है।

इन सब बातों से ऊपर उठते हुए एक आदर्श व्यक्तित्व हमारे सामने नजर आते और वे है प्रभु श्री राम के रूप में। जब बात आदर्श की हो तब सबको भगवान श्री राम ही दिखते हैं। आज परिवारों में भाई से भाई का प्रेम कही नजर नहीं आ रहा। श्री राम से यहां हम सीख सकते हैं कि किस प्रकार उन्होंने व उनके भाइयों ने अपने संपूर्ण जीवन में अपने आपसी बंधुत्व का परिचय दिया।

जीवन में मनुष्य इतना भागदौड़ कर रहा है कि वह अपने स्वभाव, चिड़चिड़ापन से रिश्ते खत्म कर रहा है धैर्य संयम कैसे जीवन में लाया जा सकता, ये भगवान श्री राम से सीखना चाहिए, संताने अपने माता-पिता के आदेश का पालन नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में माता-पिता के आदेश और आज्ञा का उल्लंघन ना हो यह भी प्रभु श्री राम हम सबको सिखा रहे हैं। युवा संघर्ष से कतरा रहा श्री राम ने वनवास जो कि एक संघर्षमय जीवन को वरदान साबित करते हुए 14 वर्षों के संघर्ष के बाद राजा राम से मर्यादित प्रभु श्री राम बन गए। यह संघर्ष मनुष्य को अपने जीवन में निखारने का काम करता है।

संघर्ष - कठिनाइयों से घबराकर गलत रास्ते पर युवा 

जल्द सफलता पाने के लालच में युवा आज इस संघर्ष कठिनाइयां से घबरा कर गलत रास्ते पर जा रहा है। मित्रता में आज स्वार्थ की भावना आ गई बिना मतलब के मित्र-मित्र के काम नहीं आ रहा ऐसे में मित्रता का भाव राम, हनुमान, विभीषण, निषादराज, सुग्रीव, से सीखना चाहिए। जिन्होंने हर समय निस्वार्थ भाव से मित्रता के भाव को अपनाते हुए एक-दूसरे की सहायता की। अनेक ऐसी बात हमारे राम में समाहित है जो उन्हें आदर्श बनाती है। मर्यादित है राम तो गरिमा है सीता घर में महिलाओं का आचरण भी सीता समान होना आवश्यक है। आज परिवारों का विघटन होते जा रहा है, कारण यही है कि आपसी यकीन, भरोसा, विश्वास कम होता जा रहा है। इससे रिश्ते में दूरियां बनने के साथ परिवार की मर्यादा गरिमा को समाप्त होते हम देख रहे हैं। ऐसे में भगवान राम का अनुसरण हर एक मनुष्य तथा परिवार को करना चाहिए। शास्त्रों में ग्रन्थो में वेदों में कहां भी गया है राम से बड़ा राम का नाम जो इस कलयुग के भवसागर से मनुष्य को आसानी से पार लगा सकता है राम में इतना आदर्श है कि महान होने पर भी उन्होंने सहायता के लिए केवट को छोटा नहीं माना यही बात राम को प्रभु श्री राम बनाती है। भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ और माता कौशल्या के यहां जन्मे हमारे आराध्य प्रभु श्री राम को हम प्रणाम करते हैं। 

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