Bihar SIR: बिहार में वोटर वेरिफिकेशन पर रोक नहीं, दस्तावेजों की सूची में आधार, वोटर और राशन कार्ड शामिल करने का सुझाव

Update: 2025-07-10 09:50 GMT

नई दिल्ली। बिहार में वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगेगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि, SIR की प्रक्रिया जारी रहेगी। कोर्ट ने चुनाव आयोग से वेरिफिकेशन दस्तावेजों की सूची में आधार, वोटर कार्ड और राशन कार्ड शामिल करने का सुझाव दिया है। 28 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी।

न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा - दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद, चुनाव आयोग ने बताया है कि, मतदाताओं के सत्यापन के लिए दस्तावेजों की सूची में 11 दस्तावेज शामिल हैं और यह संपूर्ण नहीं है। इसलिए, हमारी राय में, यदि आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को भी इसमें शामिल किया जाए तो यह न्याय के हित में होगा... (स्पष्ट करते हैं कि यह चुनाव आयोग को तय करना है कि वह दस्तावेज लेना चाहता है या नहीं और यदि वह दस्तावेज नहीं लेता है तो उसके कारण भी बताएं) और इससे याचिकाकर्ता संतुष्ट होंगे। इस बीच, याचिकाकर्ता अंतरिम रोक की मांग नहीं कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति धूलिया ने आगे कहा कि, प्रथम दृष्टया न्याय के हित में, चुनाव आयोग इन दस्तावेजों को भी शामिल करेगा...आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र। जब अदालत में यह मांग की गई कि, कृपया यह भी जोड़ें कि चुनाव आयोग के पास इस मामले में विवेकाधिकार है, तो न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा - अपनी बहस के बिंदु अब आप 28 जुलाई के लिए बचाकर रखिए।

जस्टिस धूलिया की महत्वपूर्ण टिप्पणी :

एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया गया है जो हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ तक जाता है। प्रश्न मतदान के अधिकार का है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि 24 जून के आदेश के तहत मतदाता सूची की SIR प्रक्रिया न केवल मतदाताओं के अनुच्छेद 324, 325, 14, 19 और 21 का उल्लंघन करती है, बल्कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों का भी उल्लंघन करती है। निर्वाचन आयोग का तर्क है कि पिछला गहन संशोधन 2003 में हुआ था और वर्तमान में एक गहन संशोधन की आवश्यकता है जो अनुच्छेद 326 के तहत अनिवार्य है।

प्रथम दृष्टया हमारा मत है कि तीन प्रश्न हैं - 1. चुनाव कराने की निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ, 2. शक्तियों के प्रयोग की प्रक्रिया और 3. समय-सीमा बहुत कम है और नवंबर में समाप्त होने वाली है तथा अधिसूचना पहले ही आ जाएगी। सुनवाई के दौरान जस्टिस धूलिया ने यहां तक कह दिया कि, जो डॉक्यूमेंट चुनाव आयोग द्वारा मांगा जा रहा है, वो मेरे पास भी नहीं मिलेगा।

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