प्रेजिडेंशियल रेफरेंस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस किया जारी
Presidential Reference Case : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विधायिका या संसद द्वारा पारित विधेयकों की मंजूरी से जुड़े राष्ट्रपति के 14 रेफरेंस को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। CJI बीआर गवई ने कहा कि मामले की सुनवाई के लिए टाइमलाइन पर मंगलवार को विचार किया जाएगा। इसके बाद अगस्त के मध्य में इस मामले पर आगे की सुनवाई की जाएगी।
ये है पूरा मामला
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में राष्ट्रपति और राज्यपाल को किसी विधेयक पर तय समय में ही फैसला लेने का आदेश दिया था। इसके साथ ही बेंच ने कहा था कि, अगर किसी विधेयक पर तय समय में ही फैसला नहीं होता तो फिर अदालत निर्णय करेगी। यह पूरा मामला अप्रैल में शुरू हुआ था।
कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचार के लिए रखे गए विधेयकों को राष्ट्रपति को तीन महीने के अंदर मंजूरी देनी होगी। यह फैसला जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने सुनाया था।
इसके बाद मई में राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा था कि क्या ऐसा आदेश अदालत दे सकती है। राष्ट्रपति ने संविधान के आर्टिकल 143(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ही बेंच के फैसले पर विचार करना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रखेंगे।
चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि संविधान की व्याख्या को लेकर मतभेद की स्थिति है। इसलिए अटॉर्नी जनरल हमारी हेल्प करें। सॉलिसिटर जनरल इस मामले में केंद्र का पक्ष रखेंगे। इसके अलावा राज्यों से भी वकील तैनात होंगे। अदालत ने अब इस केस की अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई की तारीख तय की है।
हालांकि इस मामले पर सुनवाई को लेकर ही तमिलनाडु के वकील पी. विल्सन और केरल का पक्ष रख रहे के.के वेणुगोपाल ने कहा कि यह मसला तो अदालत में सुनवाई के योग्य ही नहीं है।