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दिल्ली में केजरीवाल मॉडल विफल,मझधार में छोड़कर केजरीवाल आइसोलेशन में

Update: 2020-06-09 00:59 GMT

नई दिल्ली। कोरोना संकट के दौरान दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मॉडल पूरी तरह विफल हो गया है। जनता की गा?ी कमाई को विज्ञापन में पानी की तरह बहाने केजरीवाल कोरोना नियंत्रण को लेकर दावे तो बड़े .कर रहे थेए लेकिन एन मौके पर दिल्ली को मझदार में छो?कर वे खुद क्वारंटाइन हो गए हैं। स्वास्थ्यगत ?ांचा पूरी तरह से चरमरा गया है। सरकारी व निजी अस्पतालों ने अपने हाथ खड़े  कर दिए हैं। दिल्ली में कोरोना मरीजों और मौतों की उपलब्धता के बारे में भी सही जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। कोरोना मरीजों की जांच मामले से लेकर प्रवासी मजदूरों के रखरखावए उनके भोजन.पानी के इंतजाम आदि मामलों में भी राजधानी दिल्ली का तंत्र फिसड्डी साबित हुआ है।

तीन महीने पहले सत्ता में लौटने के बाद केजरीवाल सरकार दिल्लीवासियों को सुनहरे भविष्य की उम्मीद दिखाई थी। जिसमें दिल्ली को पैरिस और लंदन जैसा खूबसरत शहर बनाने का वादा था। शिक्षा और स्वास्थ्य पर बजट का 37 फीसदी हिस्सा खर्च करने वाली दिल्ली सरकार का कोरोना संकट के दौरान स्वास्थ्यगत ?ांचा ही बुरी तरह चरमरा गया है। हालत यह है कि दिल्ली के अस्पतालों में अफरा.तफरी का माहौल है। लोग मदद के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पतालों की तरफ दौड़ते और भागते नजर आ रहे हैं। मदद नहीं मिलने पर मरीज अस्पतालों के बाहर ही दम तो?ते नजर आ रहे हैं।

अपनी नाकामी छिपाने के लिए केजरीवाल अब निजी अस्पतालों पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। चिकित्सकों को धमकी दे रहे हैं। प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने के मामले में भी दिल्ली सरकार की किरकिरी हुई। अफवाहें फैलती रही और दिल्ली सरकार कुछ नहीं कर सकी। विज्ञापन देकर दिल्ली सरकार यह बताती रही कि राजधानी में दस लाख या 12 लाख लोगों को रोज खाना खिलाया जा रहा है। इस दावे की पुष्टि कहीं से नहीं हो पाई है। दिल्ली सरकार ने कोरोना का ऐप लांच कियाए जिससे लोगों को फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है। जब इस ऐप परए जांच और इलाज की व्यवस्था परए सड़कों पर मर रहे लोगों पर सवाल उठे तो मुख्यमंत्री चैनलों के एंकर से ट्विटर पर और ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में झगड़ा  करते नजर आए हैं।


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