हंगामेदार रही कि जिला पंचायत साधारण सभा की बैठक

1.88 करोड़ की राशि की बंदरबांट पर सदस्यों ने की इस्तीफे की पेशकश

Update: 2022-12-01 00:30 GMT

ग्वालियर, न.सं.। जिला पंचायत की साधारण सभा की बैठक में बुधवार को हंगामा उठ खड़ा हुआ। अध्यक्ष कुंवर दुर्गेश जाटव सिर्फ एजेंडे के 11 बिंदुओं पर चर्चा कराना चाहती थीं जबकि सदस्यों ने मांग रखी कि राज्य शासन से 15 वित्त के नाम पर आए 1.88 करोड़ की राशि की बंदरबांट की गई है। इसकी समुचित जानकारी पटल पर रखी जाए। इसे लेकर हंगामा खड़ा हो गया जिसपर कुछ सदस्यों ने इस्तीफे की पेशकश तक कर डाली। यहां मजेदार बात यह है कि जिन सदस्यों ने नौ माह पूर्व मतदान से गायब रहकर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन निर्विरोध करा दिया था, वही आज अध्यक्ष के विरोध में खड़े दिखाई दिए। जानकारी के अनुसार अध्यक्ष दुर्गेश कुंवर जाटव और उपाध्यक्ष प्रियंका सत्येंद्र सिंह एवं सीईओ आशीष तिवारी की मौजूदगी में जैसे ही बैठक शुरू हुई तो सदस्यों ने 15 वित्त की 1. 88 करोड रुपए की राशि विशेष क्षेत्र में लगाए जाने का विरोध किया। उनका कहना था कि हमारे क्षेत्र में यह राशि क्यों नहीं दी जा रही, इसे लेकर भितरवार क्षेत्र के अनूप सिंह कुशवाह काफी आक्रोशित दिखाई दिए। उनका कहना था कि जब यह राशि सभी क्षेत्रों के लिए आई है तो इसकी पूरी जानकारी क्यों नहीं दी जा रही। उन्होंने यह तक कहा कि यदि ऐसा ही चला तो वह इस्तीफा दे देंगे। इसी तरह नेहा परिहार एवं आशा जसवंत सिंह झाला ने भी अपना विरोध जताया। सदस्यों का यह तक आरोप था कि जिन सरपंचों के क्षेत्र में यह राशि लगाई जा रही है उनसे पहले ही 20 प्रतिशत कमीशन लेकर भ्रष्टाचार किया गया है इसीलिए इसकी पूरी जानकारी छिपाई जा रही है। आशा जसवंत ने अपने क्षेत्र की नल जल योजनाएं बंद पड़ी होने के साथ अन्य समस्याएं भी उठाई। इसी के साथ राजस्व फौती के नामांतरण दो दो पीढिय़ों से नहीं होने पर विरोध दर्ज कराया।

हस्ताक्षर को लेकर विवाद

एक तरफा बातें करने के बाद जैसे ही प्रोसीडिंग पर सदस्यों के हस्ताक्षर कराए जाने की बारी आई तो सदस्यों ने उस पर यह कहकर इंकार कर दिया कि पिछली तीन अक्टूबर की साधारण सभा में जिस रजिस्टर पर उनके हस्ताक्षर कराए थे बाद में उसे ही प्रोसेडिंग बता दिया गया इसलिए इस बार तो प्रोसिडिंग पूरी तैयार होने के बाद ही हस्ताक्षर करेंगे।

धारा 47 के तहत चर्चा कराने दिया पत्र

सदस्यों का अविश्वास इतना ज्यादा रहा कि उन्होंने धारा 47 के तहत 1.88 करोड़ रुपए की राशि के वितरण पर चर्चा नहीं होने पर बाकायदा एक पत्र पर हस्ताक्षर कर सीईओ को सौंप दिया लेकिन इस विषय पर चर्चा कराने के पूर्व ही सभी उठकर चल दिए जिससे मामला अधूरा रह गया।

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