जयारोग्य व एक हजार बिस्तर को जोडऩे बनेगा अंडरपास
अनुमोदन के लिए भोपाल भेजा प्रस्ताव
ग्वालियर, न.सं.। जयारोग्य चिकित्सालय एवं एक हजार बिस्तर के अस्पताल को जोडऩे के लिए अंडरपास बनाया जाएगा। जिससे मरीजों, चिकित्सकों व स्टाफ को आने-जाने में परेशानी नहीं होगी। अंडरपास का प्रस्ताव भोपाल भेजा जा चुका है।दरअसल पॉटरीज की जमीन पर बने एक हजार बिस्तर के अस्पताल में जयारोग्य के अधिकांश विभागों को शिफ्ट कर दिया गया है। इसके अलावा मरीजों को भर्ती भी किया जा रहा है। जबकि जयारोग्य अस्पताल परिसर में कार्डियोलॉजी, न्यूरोसर्जरी-न्यूरोलॉजी के अलावा कमलाराजा अस्पताल में गायनिक एवं पीडियाट्रिक विभाग संचालित हो रहे हैं, लेकिन दोनों परिसरों को अभी तक आपस में जोड़ा नहीं गया है। जिस कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि हजार बिस्तर से मरीजों को कुछ जांच कराने के लिए जयारोग्य में ही भेजा जाता है। इसके अलावा सबसे ज्यादा परेशानी ट्रॉमा व कैजुअल्टी में पहुंचने वाले मरीजों को हो रही है, क्योंकि मरीजों के परिजनों को कई बार स्ट्रेचर पर खींचकर मरीजों को जयारोग्य से एक हजार बिस्तर के अस्पताल तक ले जाना पड़ता है। इन्ही परेशानी को देखते हुए केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्देश पर दोनों परिजनों को आपस में जोडऩे के लिए अंडपास का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसकी लागत 23.44 करोड़ रुपए है। उक्त प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए भोपाल भेजा जा चुका है। अनुमोदन मिलने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त के पास स्वीकृति के लिए जल्द ही भेजा जाएगा।
चिकित्सकों ने रखी थी रास्ता बंद करने की मांग
दोनों परिसरों को आपस में जोडऩे के लिए मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन द्वारा कम्पू मार्ग को बंद कर अस्पताल को देने की मांग की थी, लेकिन केन्द्रीय मंत्री श्री सिंधिया रास्ता बंद करने के पक्ष में नहीं हैं। केन्द्रीय मंत्री का कहना था कि अगर रस्ता बंद कर दिया तो यातायात प्रभावित होगा।
सेन्ट्रलाइज एसी के लिए आयुक्त के पास पहुंचा प्रस्ताव
हजार बिस्तर के अस्पताल को पूरी तरह सेन्ट्रलाइज करने के लिए भी आयुक्त के पास प्र्रस्ताव पहुंच गया है। दरअसल अस्पताल पूरी तरह सेन्ट्रलाइज नहीं है। ऐसे में विभिन्न विभागों के सामान्य वार्डों में सिर्फ पंखे ही लगे हुए हैं। जिसको लेकर केन्द्रीय मंत्री ने अस्पताल को सेन्ट्रलाइज ऐसी करने के निर्देश दिए थे। इस पर पीआईयू व पीडब्ल्यूडी द्वारा 53.08 करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर भोपाल अनुमोदन के लिए भेजा गया था। अनुमोदन मिलने पर उक्त प्रस्ताव को अब चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त के पास भेजा जा चुका है। आयुक्त की स्वीकृति मिलने के बाद अस्पताल को पूरी तरह सेन्ट्रलाइज एसी कर दिया जाएगा।