रागायन की सभा में सजे श्रद्धा और समर्पण के सुर

दाजी और महाजनी की स्मृति में सुर साज की सभा

Update: 2023-10-30 01:15 GMT

ग्वालियर,न.सं.। शहर की प्रतिष्ठित सांगीतिक संस्था रागायन की रविवार को हुई संगीत सभा में श्रद्धा और समर्पण के सुर सजे। ग्वालियर घराने के प्रख्यात गायक पंडित एकनाथ सारोलकर एवं पंडित महीपतिराव महाजनी की स्मृति में आयोजित इस सभा में कलाकारों ने ग्वालियर घराने की दोनों विभूतियों को सुर साज से अपनी श्रद्धा प्रकट की।

शुरू में रागायन के अध्यक्ष एवं सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला के महंत स्वामी रामसेवक दास जी ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर एवं गुरुपूजन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर पंडित सारोलकार एवं पंडित महाजनी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में ब्रह्मदत्त दुबे, श्रीराम सिरधोंकर अविनाश महाजनी, स्मिता महाजनी आदि उपस्थित थे।

सभा का शुभारंभ नवोदित कलाकार मुरैना की कुमारी एकता जैन के गायन से हुआ। पंडित सुभाष देशपांडे की शिष्या एकता ने अपने गायन की शुरुआत राग विहाग से की। इस राग में उन्होंने दो बंदिशें पेश की। एकताल में निबद्ध विलंबित बंदिश के बोल थे -‘कैसे सुख सोवे’ जबकि तीनताल में द्रुत बंदिश के बोल थे -‘अब तो रट लागी’ । एकता ने दोनों ही बंदिशों को अपने मनोयोग से प्रस्तुत किया। गायन का समापन उन्होंने मीराबाई के भजन -‘सखी री कैसे घर जाऊं’ से किया। इस प्रस्तुति में तबले पर सुजल जैन और हारमोनियम पर ने संगत का प्रदर्शन किया।

सभा के दूसरे कलाकार मनोज नाईक ने सुमधुर सितार वादन की प्रस्तुति दी। उन्होंने वादन के लिए राग बागेश्री का चयन किया। आलाप जोड़ से शुरू करके उन्होंने इस राग में दो गतें पेश की । विलंबित और मध्यलय की दोनों ही गतें तीनताल में निबद्ध थी। श्री नाईक ने रागदारी की बारीकियों के निर्वहन के साथ अपनी प्रस्तुति दी। आपके साथ तबले पर डॉ विनय विंदे ने मिठास भरी संगत का प्रदर्शन किया।

सभा के तीसरे कलाकार थे ग्वालियर के जाने माने ध्रुपद गायक अभिजीत सुखदाने। अभिजीत जी ने राग जोग में अपने गायन की प्रस्तुति दी। गायन की शुरुआत आलाप मध्यलय आलाप और द्रुत लय के आलाप से करते हुए राग के स्वरूप को साकार करते हुए तीव्रा ताल में बंदिश पेश की। ‘भेद सो न्यारो कर दिखलावे जो कोई गुनी ’इस बंदिश को अभिजीत ने बड़े मनोयोग से रागदारी की बारीकियों के साथ गाया। आपके साथ गायन में आपके ही शिष्य सुदीप भदौरिया ने साथ दिया, जबकि देश के जाने माने पखावज वादक शिखर सम्मान से विभूषित पंडित संजय पंत आगले ने माधुर्य पूर्ण संगत का प्रदर्शन किया।

सभा का समापन ग्वालियर की वरिष्ठ गायिका विदुषी साधना गोरे एवं डॉ वीणा जोशी के सुमधुर गायन से हुआ। दोनों ने भजन की प्रस्तुति दी। ‘भज मन राम चरन सुखदाई’ राग भैरवी के सुरों में पगे इस भजन को आपने बड़े ही सलीके से विविधतापूर्ण ढंग से पेश किया। आपके साथ तबले पर डॉ विनय विंदे एवं हारमोनियम पर संजय देवले ने संगत की।

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पंडित उमड़ेकर व श्रीमती क्षीरसागर सम्मानित

कार्यक्रम में ग्वालियर घराने के वरिष्ठ सितार वादक पंडित श्रीराम उमड़ेकर एवं वयोवृद्ध संगीत साधिकासुंदर क्षीरसागर को सम्मानित किया गया। शाला के महंत स्वामी रामसेवक दास जी एवं विदुषी साधना गोरे , डॉ वीणा जोशी अविनाश महाजनी एवं स्मिता महाजनी ने क्रमश: पंडित उमड़ेकर को पंडित एकनाथ सारोलकर स्मृति जीवन सम्मान से एवं श्रीमती क्षीरसागर को पंडित महीपति राव महाजनी स्मृति जीवन सम्मान से विभूषित किया। सम्मान स्वरूप दोनों कलाकारों को शॉल श्रीफल एवं सम्माननिधि प्रदान की गई।

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संतोषरानी आनंद को श्रद्धांजलि अर्पित

कार्यक्रम के अंत में ग्वालियर के वरिष्ठ संस्कृति कर्मी एवं रागायन के सदस्य अशोक आनंद की मातुश्री संतोष रानी आनंद के निधन पर दो मिनट का मौन धारण कर दिवंगत आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गई। सभी ने श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके धार्मिक अवदान को याद किया।

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