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शुभा श्रीवास्तव: वर्दी और बहू की कसौटी पर खरी

Update: 2022-03-08 08:27 GMT

ग्वालियर/वेबडेस्क। आज का दिन विश्व भर की महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाओं ने समाज में सफलता के नए प्रतिमान गढ़े हैं। यह बदलाव समाज में नीचे से ऊपर तक देखा जा रहा है।  कहा जाता है नारी नारायणी का रूप है अगर वह मन में संकल्प धारण कर समर्पित हो तो इस समाज में उसे वह सब कुछ प्राप्त हो सकता है जो वह मन में ठान ले। 

परिवार संभालने वाली महिलाएं हमारे समाज में असर देखने को मिल जाती हैं। घर को संवारने से लेकर कार्या में बड़ी जिमेदारी संभालने तक महिलाएं हर काम कर सकती हैं। परिवार के प्रति कर्तव्य हो या ड्यूटी के लिए फर्ज महिलाएं सभी को बड़ी निपुणता से पूरा करती हैं। बात अगर महिला पुलिस की हो तो उनकी जिमेदारी तो अधिक बढ़ जाती है। समाज की सुरक्षा के लिए समय की पाबंदियों से ऊपर उठकर पुलिसकर्मी दिन रात ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। इस दौरान उनके परिवार को भी उनकी जरूरत पड़ती है। दोनों को एक साथ मैनेज करना भले ही मुश्किल हो लेकिन महिलाएं इसे बखूबी निभा लेती हैं।

पुलिस विभाग में तो अब महिलाओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। समाज का पीडि़त व्यक्ति जब सब जगह से निराश हो जाता है तो उसे पुलिस से एक मदद की उमीद नजर आती है। पुलिस विभाग में डीएसपी के पद पर पदस्थ श्रीमती शुभा श्रीवास्तव भी लोगों की इसी उमीद को पूरा करने के लिए पुलिस विभाग में आई हैं। मूलता: गंजबासौदा की रहने वाली श्रीमती श्रीवास्तव अभी तक कई गुमशुदा बच्चों को खोज कर उन्हें उनके माता-पिता से मिला चुकी। महिला पुलिस अधिकारी भले ही पुलिसिया अंदाज में रहती है, लेकिन उनके अंदर भी परिवार के लोगों के लिए एक आदर्श बहू भी समाई हुई है।

स्वदेश से चर्चा के दौरान श्रीमती श्रीवास्तव ने कहा कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर आकर खड़ी हो गई हैं। उन्होंने बताया कि वह अभी तक दो दर्जन से अधिक गुमशुदा बच्चों को खोज कर उनके परिवार वालों से मिला चुकी हैं। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी सांसी गैंग का भी भांडाफोड़ चुकी है। नौकरी और पारिवारिक जिमेदारियों के बीच तालमेल बैठाने वाली श्रीमती श्रीवास्तव कहती हैं कि उनकी सास से उनका अच्छा तालमेल रहता है, वे जरूरत के वक्त सदैव अपने परिवार के साथ खड़ी रहती हैं और अपनी नौकरी का निर्वाहन भी पूरी ईमानदारी से कर रही हूं। इस सफलता का श्रेय परिजनों को है, जो मुझे आत्म संबल प्रदान करता है।

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