एससी-एसटी छात्रावासों में समरसता अभियान चलाएगी विद्यार्थी परिषद

एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की स्वदेश से विशेष बातचीत

Update: 2018-08-07 08:12 GMT

ग्वालियर । देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में परिसर-परिसर अभियान चलाने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अब देश भर के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) छात्रावासों में सामाजिक समरसता अभियान चलाएगी। यह जानकारी अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एस. सुबैया ने स्वदेश से बातचीत में दी।

लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान में सोमवार से शुरू हुई अभाविप की केन्द्रीय कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने ग्वालियर आए डॉ. सुबैया ने कहा कि दो अप्रैल की घटना चिंता का विषय है। हम दो जातियों या दो वर्गों को आपस में लड़ते हुए नहीं देख सकते, इसलिए अभाविप ने सितम्बर में देश भर के एससी-एसटी छात्रावासों में समरसता अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस अभियान में कार्यकर्ता एससी-एसटी छात्रों से संपर्क और संवाद करेंगे। डॉ. सुबैया ने बताया कि इससे पहले अभाविप ने 30 जुलाई से 4 अगस्त तक देश भर में छात्रों से परिचय के उद्देश्य से परिसर-परिसर संपर्क अभियान चलाया था। इस अभियान के तहत अभाविप के कार्यकर्ताओं ने देश के कुल 1.65 लाख शैक्षणिक परिसरों में से विभिन्न राज्यों के लगभग 40 हजार शैक्षणिक परिसरों में छात्रों के बीच पहुंचकर सोशल मीडिया के माध्यम से सेल्फी लेने का काम किया।

डॉ. सुबैया ने बताया कि दो दिन चलने वाली केन्द्रीय कार्यसमिति की बैठक में राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन, जम्मू-कश्मीर में धारा 35-ए, अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, पिछड़ा वर्ग आयोग, एससी-एसटी छात्रों को छात्रवृत्ति सहित राष्ट्र, समाज और छात्रों से जुड़े विषयों पर विस्तार से चर्चा होगी और निर्णय लिया जाएगा कि इनमें से किन-किन मुद्दों को लेकर किस तरह से राष्ट्रव्यापी अभियान चलाना है। जातिगत आरक्षण के सवाल पर डॉ. सुबैया ने कहा कि आरक्षण समय की मांग है क्योंकि अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग हजारों साल से शोषण का शिकार रहा है, इसलिए इन वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था निरंतर चलती रहना चाहिए। जहां तक सवर्ण गरीबों का सवाल है तो उनके लिए भी अलग से आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है।

राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन पर हो रही है तुष्टीकरण की राजनीति

अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एस. सुबैया ने कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन को लेकर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति हो रही है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि अभाविप बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर करने की मांग को लेकर सन 1980 से ही लगातार अभियान चला रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश भर में लगभग तीन करोड़ की संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिया हैं। इनमें असम की तुलना में पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा झारखंड, बिहार, उड़ीसा, तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक में भी बांग्लादेशी घुसपैठिया रह रहे हैं। डॉ. सुबैया ने बताया कि दक्षिण भारत के राज्यों में हत्या, लूट, चोरी, डकैती जैसी घटनाएं होती हैं तो वहां के लोग उत्तर भारतीयों पर शंका करते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि दक्षिण भारत के राज्यों में इस प्रकार की आपराधिक घटनाओं को बांग्लादेशी घुसपैठिया ही अंजाम दे रहे हैं।

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