कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत नहीं देंगे इस्तीफा, कहा - दोस्ती यारी में गया था मुख्यमंत्री के मंच पर

राजीव अग्रवाल

Update: 2024-05-09 23:45 GMT

ग्वालियर । राजनीति भी अजीब होती है कभी चित तो कभी पट।अब विजयपुर से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत को ही ले लीजिए।?30 अप्रैल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी मुरैना में सभा ले रहे थे, ठीक उसी समय वह मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से पट्टा पहनकर भाजपा में शामिल हो गए। जिससे राहुल की सभा से कहीं अधिक चर्चा उनके कांग्रेस छोडऩे पर हुई, लेकिन अब वह विधायक पद से इस्तीफा देने से साफ इंकार कर दिया हैं। वह कह रहे हैं कि 30 अप्रैल को विजयपुर में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से दोस्ती यारी में पट्टा डलवा लिया था, इसलिए जब में भाजपा में गया ही नहीं तो फिर किस बात का इस्तीफा ?

यह बात श्री रावत ने गुरुवार को स्वदेश से चर्चा करते हुए कही। दरअसल कांग्रेस से विधायक चुने गए रामनिवास रावत पर भाजपा की सदस्यता लेने पर दलबदल कानून के तहत खतरा मंडरा रहा है। क्योंकि उनके इस्तीफा नहीं देने पर कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत कर उनकी सदस्यता रद्द करने की तैयारी में है। श्री रावत कांग्रेस से कई कारणों से खफा चल रहे थे।पहला कारण उनकी वरिष्ठता को दरकिनार कर जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। दूसरा कारण उनके लोकसभा चुनाव में विरोध करने वाले सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को लोकसभा टिकट दे दिया। जिसका विरोध करने पर राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी के बात करने पर वह कुछ दिन मान गए, लेकिन सब्र का बांध टूटने पर 30 अप्रैल को कांग्रेस से नाता तोडक़र भाजपा का दामन थाम लिया। लेकिन अब यह चिंता सता रही है कि भाजपा में जाने पर विधायकी चली जाएगी। फिर उप चुनाव में भले ही भाजपा टिकट दे दे, लेकिन जीत ही जाएंगे यह कैसे मान सकते हैं इसलिए अभी तक विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है।

राजा ने भी हराने का काम किया था

स्वदेश से बातचीत में रामनिवास रावत ने चुनाव परिणाम पूछे जाने पर पहले तो छूटते ही कहा कि ओवरऑल जीत रहे हैं, मुरैना और ग्वालियर दोनों ही स्थानों पर भाजपा जीतेगी। फिर उनसे जैसे ही विधायक पद से इस्तीफे का सवाल किया तो बोले अभी कोई निर्णय नहीं लिया है, जैसी भी स्थिति परिस्थिति बनेगी देखेंगे। अभी जल्दी नहीं है। जब उन्हें याद दिलाया कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में आपने भाजपा का पट्टा पहना था ,ऐसे में आप दलबदल कानून के दायरे में हैं, इसके जवाब में श्री रावत बोले कि मैं दोस्ती यारी में मंच पर गया था, वहां पट्टा पहना दिया, इसलिए दलबदल कैसा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस में रहते राजा मुझे हरवा सकते हैं तो मैंने भाजपा से दोस्ती यारी निभा दी क्या हुआ। श्री रावत बोले कि कांग्रेस से पूछो कि वह मेरे बारे में क्या कर रही है।

निर्मला सप्रे ने भी नहीं दिया इस्तीफा

सागर जिले के बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे भी भाजपा में शामिल हो चुकीं हैं लेकिन उन्होंने भी विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया है, जबकि छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक चुने गए कमलेश शाह ने 29 मार्च को भाजपा में शामिल होते ही इस्तीफा दे दिया था। इस तरह रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे ही दलबदल कानून के दायरे में हैं।

28 विधायकों के इस्तीफे से गिरी थी कांग्रेस सरकार

यहां बता दें कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही थी लेकिन डेढ़ वर्ष बाद ही एक साथ 28 विधायकों के इस्तीफे से सरकार गिर गई थी। उनमें 22 विधायक ग्वालियर चंबल संभाग के थे। लेकिन जब 2020 में उपचुनाव हुए तो भाजपा ने इन सभी को टिकट दिए लेकिन सभी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सके। इनमें इमरती देवी,ऐंदल सिंह कंसाना, मुन्नालाल गोयल, रघुराज सिंह कंसाना, गिर्राज डंडोतिया, रणवीर जाटव,जसवंत जाटव प्रमुख हैं।

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