मतभेद भुलाकर 2019 की तैयारी करो: बादल
मतभेद भुलाकर 2019 की तैयारी करो: बादल
नई दिल्ली,
राज्य के कई सहयोगी दल भाजपा से नाराज हैं। शिवसेना के बाद अब बिहार में जनता दल यूनाइटेड के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। तेलगू देशम पार्टी बहुत पहले भाजपा का साथ छोड़ चुकी है। इसी बीच एक सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने खुलकर भाजपा का समर्थन किया है। युद्ध जैसी स्थित की तरह मजबूत करने की वकालत करते हुए शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि अगले वर्ष आगामी चुनावों में जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी सहयागी दलों को अपने मतभेद भुला देने चाहिए। इसी बीच, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को चंडीगढ़ में शिरोमणि अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व के साथ बंद कमरे में मुलाकात की। अमित शाह ने अकाली दल के संरक्षक व पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे व पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से मुलाकात की।
सुखबीर ने कहा, यह युद्ध जैसी स्थिति है। अगले वर्ष आम चुनाव होने वाले हैं और हमें राजग को मजबूत करने की जरूरत है। सुखबीर के मुताबिक भाजपा और शिअद 'नैसर्गिक सहयोगीÓ हैं। उन्होंने कहा कि यह लेन-देन वाला संबंध नहीं है। सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल, नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हैं। बीते साल की शुरुआत में हुए पंजाब विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियों के गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में स्पष्ट मोदी लहर के बावजूद इन्होंने अप्रैल-मई 2014 में लोकसभा चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था।
पंजाब में तीन दशक से ज्यादा समय से चल रहा अकाली दल-भाजपा गठबंधन 2017 के विधानसभा चुनावों में तीसरे नंबर पर रहा था। आम आदमी पार्टी (आप) को 117 सदस्यों वाली विधानसभा में 20 सीटें हासिल हुई थीं और यह राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बनी थी। कांग्रेस को 2017 के विधानसभा चुनावों में 77 सीटें मिलीं। कांग्रेस राज्य में (2007 से 2017 तक) करीब एक दशक तक सत्ता से बाहर रही। इस अवधि के दौरान अकाली दल-बीजेपी गठबंधन का पंजाब में शासन रहा। पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस व आप के पास चार-चार सीटें है, जबकि अकाली-बीजेपी गठबंधन के पास पांच सीटें (भाजपा के पास एक व अकाली दल के पास चार सीटें हैं)।