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पाक सीमा में घुस जाते थे तो अजान की आवाज सुनकर वापस लौट आते

Update: 2019-03-31 04:43 GMT

एक सैनिक की साहसिक दास्तान

ग्वालियर/विशेष प्रतिनिधि। अवधेश नारायण सक्सेना की उम्र उन दिनों यही कोई 25 वर्ष रही होगी, जब वह भारत-पाक सीमा के जम्मू-कश्मीर में कच्ची रोटी पोस्ट पर तैनात थे। भारत माता की रक्षा के लिए पैदल चलते-चलते कई बार वे पाकिस्तान की सीमा में दूर तक चले जाते थे। किन्तु जब सुबह किसी मस्जिद से आजान की आवाज आती तो उन्हें पता लगता कि वह भारत में नहीं बल्कि पाक सीमा में आ गए हैं, तब वह अपने कदम वापस भारत की सीमा में ले आते थे। सिद्धेश्वर नगर ग्वालियर निवासी श्री सक्सेना ने स्वदेश से चर्चा करते हुए बताया कि वर्ष 1985 में जब वह सेना में भर्ती हुए थे, तब उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर में सीमा पर हुई। वे बताते हैं कि हमारी टुकड़ी खाना, पानी और हथियार के साथ पैदल गश्त पर निकलती थी। किन्तु कई बार इतना भटक जाते थे कि 15-15 दिन तक बिना खाए-पिए दिन गुजारना पड़ते थे। सीमा के आसपास के झरने और छोटे-मोटे तालाब से घूंट भर पानी जीभ पर रख लेते थे। वे बताते हैं कि उन्होंने इस क्षेत्र में लगभग 11 वर्ष तक सीमा की पहरेदारी की।

इस दौरान कोई बड़ा युद्ध तो नहीं हुआ, लेकिन छुटपुट घटनाएं तो लगभग रोजाना ही चलती रहीं, जिसमें कई बार सामने से चली गोलियां उनके दाएं-बाएं से गुजर गईं। यानी कि हमारे दिन और रात खतरों से जूझते हुए गुजरते थे। कई बार तो हम एक छोटे से पौधे की आड़ में पूरी रात गुजार देते थे। वर्ष 1996 में सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद अब वह ग्वालियर आ गए हैं और सिद्धेश्वर नगर में रहते हैं। उन्होंने बताया कि जब वह सेना में भर्ती हुए थे, तब उनका वेतन 180 रुपए मासिक था और जब सेवानिवृत्त हुए, तब यह वेतन बढक़र 3600 रुपए हुआ। अब पेंशन मिलती है, लेकिन इससे परिवार का गुजारा नहीं होता है, इसलिए वे यहां एक निजी सिक्युरिटी कम्पनी में बतौर गार्ड नौकरी कर रहे हैं। आज भी बड़ी-बड़ी मूछों के लिए मशहूर श्री सक्सेना का हौसला इतना बुलंद है कि वे कहते हैं कि यदि देश को जरूरत पड़ी तो वे सीमा पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने को तैयार हैं।

प्रधानमंत्री तो मोदी ही बनेंगे

जब श्री सक्सेना से देश के हालात और लोकसभा चुनाव के बारे में पूछा तो वे तपाक से बोले कि प्रधानमंत्री तो नरेन्द्र मोदी ही बनेंगे। उन्होंने अपने देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। उनके जैसा प्रधानमंत्री कोई दूसरा नहीं हो सकता। वे पाकिस्तान और चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम साबित हुए हैं, इसलिए उनके नेतृत्व में पुन: केन्द्र में सरकार बनेगी।

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