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सिद्धि की मौत की खबर सुन रविन्द्र बोला, मुझे मौत क्यों नहीं आई

Update: 2019-03-18 18:38 GMT

रास्ते भर सिद्धि करती रही थी बातें, मासूम की प्यारी बातों को याद करते हुए बिलखता रहा रविन्द्र

ग्वालियर/न.सं.। सड़क हादसे में घायल टवेरा गाड़ी के चालक रविन्द्र बैरागी को उपचार के बाद जब होश आया तो उसने सबसे पहले उसके बगल में आगे वाली सीट पर बैठी मासूम सिद्धि के बारे में पूछा। जैसे ही चालक को सिद्धि की मौत का पता चला तो उसके मुंह से एक ही शब्द निकला कि मुझे मौत क्यों नहीं आई।

मोहना थाने में पदस्थ सहायक उपनिरीक्षक कुंज बिहारी शर्मा ने बताया कि टवेरा चालक रविन्द्र सड़क हादसे में घायल हो गया था। उपचार के बाद जब उसको होश आया तो उसने सबसे पहले सिद्धि के बारे में ही पूछा। रविन्द्र का कहना था कि मासूूम सिद्धि उससे रास्ते भर प्यारी-प्यारी बातें करते हुए मथुरा से आ रही थी, जबकि गाड़ी में बैठे अन्य लोगों ने नींद का झपका ले लिए था, लेकिन सिद्धि की नटखट बातों से मेरा समय पास हो रहा था, साथ ही उसकी मीठी बोली से मैं काफी प्रभावित था। वह नटखट कुछ न कुछ बात करती रही। उसकी वजह से मैं रास्ते भर हंसता-मुस्कराता रहा। भगवान को कोस रहे रविन्द्र बैरागी सिद्धि की मौत से सदमे में है और उसकी बातों को याद कर रहा है। सिद्धि की दादी का भी रो-रोकर बुरा हाल है। बताया गया है कि घर में मासूम सिद्धि अपनी दादी के पास ज्यादा रहती थी। चार लोगों की मौत से परिवार पर बज्रपात हो गया है।

जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय

यह कहावत उस समय चरितार्थ हो गई, जब अरविंद के मासूम बेटे निष्कर्ष का हादसे में बाल भी बांका नहीं हुआ, जबकि टवेरा में बैठे सभी लोगों को चोटें आई हैं। मासूम निष्कर्ष पूरी तरह सुरक्षित है।

घायलों को लाते समय 100 डायल का टायर फटा

हादसे के बाद मोहना हाइवे पर खड़ी होने वाली 100 डायल से पुलिस घायलों को अस्पताल ला रही थी तभी रास्ते में गाड़ी का अचानक टायर फट गया। सहायक उपनिरीक्षक कुंज बिहारी शर्मा ने बताया कि यदि 100 डायल की गति तेज होती तो वह सामने से आ रहे ट्रक से टकरा जाती और बड़ा हादसा हो जाता। पुलिस ने हादसा टल जाने पर राहत की सांस ली है।

हर वर्ष स्टाफ को मथुरा घुमाने ले जाता था दीपक

शुभम मौर्य ने बताया कि बड़े भाई दीपक की श्री शक्ति स्टूडियो के नाम से दुकान है। वह हर वर्ष अपने स्टाफ के साथ मथुरा सहित कहीं न कहीं धार्मिक स्थल पर घूमने के लिए जाते थे। 16 मार्च की शाम को वह होली पर्व पर मथुरा गए थे। रविवार को शाम के समय दीपक अपने स्टाफ के साथ मथुरा से अशोकनगर के लिए निकले थे।

एक डोली चली, एक अर्थी चली

टवेरा चालक रविन्द्र ने पुलिस को बताया कि मथुरा से जैसे ही गाड़ी चली तो टेप में एक डौली चली, एक अर्थी चली... गाना बजा दिया। यह गाना रास्ते भर बजता हुआ आ रहा था। मना करने के बाद भी उक्त गाने को कई बार बजाया जा रहा था। 

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