ईकोग्रीन से चिपक गई है नगर निगम, पीछा कब छूटेगा पता नहीं

Update: 2020-10-11 01:00 GMT

ग्वालियर, न.सं.। शहर की सड़कों से कचरा समेटने वाली ईको ग्रीन कंपनी के कर्मचारियों की हड़ताल से नगर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। लेकिन नगर निगम के अधिकारी इसके बाद भी ईको ग्रीन कंपनी पर इस कदर से मेहरबान हैं कि कंपनी पर सख्त कार्रवाई करने की जगह सिर्फ मोहलत दे रहे। नगर निगम के अधिकारी ईको ग्रीन कंपनी के जाल में इस कदर फंस चुके हैं कि कंपनी से पीछा नहीं छुड़ा पा रहे हैं। एक ओर जहां देशभर में चीनी कंपनियों का बहिष्कार किया जा रहा है वहीं नगर निगम इस चीनी कंपनी पर अपनी कृपा बनाए हुए हैं। ईको ग्रीन कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिए जाने के कारण कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं और शहर में न तो कचरा उठा रहा है ना ही साफ सफाई हो रही है। इसका खामियाजा शहरवासियों को उठाना पड़ रहा है। वही ईको ग्रीन कंपनी पर नगर निगम के अधिकारियों की मेहरबानी की खबर भोपाल तक पहुंच गई है और भोपाल में बैठे आला अधिकारियों के निर्देश के बाद भी ईको ग्रीन कंपनी पर सख्त कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

254 करोड़ का था अनुबंध

-पीपीपी मॉडल पर 5 जून 2017 को हुआ अनुबंध।

-अनुबंध के तहत 80 फीसदी वार्डों से कलेक्शन व ट्रांसपोर्टेशन 1 साल यानी 5 जून 2018 तक होना था।

-कुल 254 करोड़ का प्रोजेक्ट। इसमें से 20 फीसदी केन्द्र और इतनी राशि देगी राज्य सरकार। शेष 60 फीसदी राशि ईकोग्रीन कंपनी लगाएगी।

-डोर टू डोर कचरा एकत्रित पर कंपनी को 1701 रुपए प्रति क्विंटल के मान से भुगतान किया जाना है। लेकिन अनुबंध की पूरी शर्तों का पालन न करने पर केवल 1701 में से केवल 40 फीसदी राशि का भुगतान किया जा रहा है। इस पर भी पेनाल्टी लगाई जा रही है।

-अनुबंध की प्रमुख शर्तों में कचरा कलेक्शन, ट्रांसपोर्टेशन, प्रोसेसिंग व डिस्पोजल है।

-सभी 66 वार्डों से कचरा कलेक्शन के लिए न्यूनतम 250 वाहनों की जरूरत थी। लेकिन वर्तमान में केवल 50 वाहन की दौड़ रहे हैं।

-वर्तमान में अकेले ग्वालियर निगम से ही करीब 400 टन कचरा उठाने का दावा कंपनी कर रही है।

़ें-सोर्स सेग्रीगेशन यानी गीला-सूखा कचरा अब तक अलग-अलग लेना शुरू नहीं किया है।

-पावर का टैरिफ मई 2017 में ही तय होना था, लेकिन विवादों के कारण अटका रहा और नवम्बर 2019 में जाकर हुआ। बिजली कंपनी ने 6.39 पैसे प्रति यूनिट की रेट तय की है

-मृत पशुओं को उठाने के लिए भी ईकोग्रीन कंपनी को अलग से वाहन रखने के निर्देश, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

-कंपनी ने अब तक शहर में लक्ष्मीगंज, ट्रिपल आईटीएम, वीरपुर, बुद्धा पार्क, रेशमपुरा, नारायण विहार, एमपी एग्रो, मेला ग्राउंड, आदर्श मिल, अमेटी यूनिवर्सिटी के पास ही फिक्स कम्पैक्टर ट्रांसफर स्टेशन (एफसीटीएस) ही स्थापित किए हैं।

निगम के एक-एक कर वाहन तोड़ रहे दम

-ग्वालियर विधानसभा में 56 में से 32 वाहन खराब

-ग्वालियर पूर्व विधानसभा में 55 में 26 वाहन खराब

-ग्रामीण विधानसभा में एक जेसीबी खराब

-ग्वालियर दक्षिण विधानसभा में 42 वाहनों में से 13 वाहन खराब

-ईकोग्रीन कंपनी के 264 की जगह दौड़ रहे है 40-45 वाहन

कंपनी ने चार माह ही बनाया कचरे से खाद

कंपनी ने नवम्बर 2019 से फरवरी 20 तक ही प्रोसेसिंग यानि खाद बनाया था और अब इस कार्य को भी ठड़े बस्ते में डालकर कर छोड़ दिया गया है। जबकि कंपनी को अनुबंध के अनुसार सोर्स सेग्रीगेशन यानि गीला-सूखा कचरा अलग-अलग कलेक्शन करना थे, लेकिन अब तक अलग-अलग लेना शुरू नहीं किया है।

यहां लगे सबसे ज्यादा कचरे के ढेर

शहर की सफाई व्यवस्था का जिम्मा संभालने वाली ईको ग्रीन कंपनी के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण शनिवार को मुरार, हजीरा, थाटीपुर सहित पड़ाव के कुछ क्षेत्रों में डोर-टू-डोर कचरा एकत्रित की गाडिय़ां नहीं पहुंचीं। कंपनी के कर्मचारियों ने कचरा नहीं उठाया। इससे इन क्षेत्रों में जगह-जगह कचरा पड़ा रहा।

एक सप्ताह से परेशान हैं मुरारवासी

ईको ग्रीन कंपनी प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच चल रही खींचतान का खामियाजा मुरार क्षेत्र के लोगों को पिछले एक सप्ताह से उठाना पड़ रहा है। क्षेत्रीय पूर्व पार्षद बृजेश गुप्ता का कहना है कि पिछले सात दिन से डोर-टू-डोर कचरा एकत्रित के वाहन क्षेत्र में नहीं आए हैं। जैसे-तैसे लोगों को जागरूक किया था, लेकिन कितने दिन तक कोई व्यक्ति वाहन के इंतजार में घर में कचरा रखेगा। लोगों ने दोबारा से सड़क किनारे कचरा फेंकना शुरू कर दिया है। सुबह निगम के वाहनों से कचरा उठवाने का प्रयास करते हैं लेकिन पूरा कचरा नहीं उठ पाता।

इनका कहना है

ईकोग्रीन कंपनी ने कहा है कि उनके वाहनों को जब्त नहीं किया जाए। उन्होंने समय मांगते हुए कहा है कि थोड़ा और समय दिया जाए। हमने दो दिन का समय और दिया है। कंपनी ने कहा है कि हम इससे और बेहतर करके दिखाएंगे।

संदीप माकिन, निगमायुक्त

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