मार्गशीर्ष मास शुरू, मनाए जाएंगे कई त्योहार
5 दिसंबर को होगा कालभैरव अष्टमी का व्रत:-
ग्वालियर, न.सं.। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 28 नवंबर मंगलवार से मार्गशीर्ष माह शुरू हो गया है। इस माह में कई त्योहार मनाए जाएंगे। इस मास की शुरूआत कृष्ण पक्ष की चतुर्थी से हुई है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस महीने 5 दिसंबर को कालभैरव अष्टमी, 8 को उत्पना एकादशी, 10 को प्रदोष व्रत, 11 को मासिक शिवरात्रि, 12 को स्नान दान श्राद्ध अमावस्या, 16 को विनायक गणेश चतुर्थी, 17 को विवाह पंचमी, 23 को मोक्षदा एकादशी, 26 को स्नान दान व्रत पूर्णिमा व दत्तात्रेय जयंती, 30 को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। साथ ही यह माह इसलिए भी शुभ है क्योंकि इस माह में दो एकादशी मोक्षदा एकादशी और उत्पन्ना एकादशी पडऩे वाली हैं जो भगवान विष्णु का प्रिय उपवास है।
5 दिसंबर को होगा कालभैरव अष्टमी का व्रत:-
ज्योतिषाचार्य के अनुसार काल भैरव को भगवान शिव का रूद्र अवतार माना जाता है। हर माह की कृष्ण की अष्टमी को कालाष्टमी या काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने से सभी भय दूर हो जाते हैं और रोगों से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता है कि कालभैरव अष्टमी के दिन भैरव बाबा का नाम लेने मात्र से सभी नकारात्मक शक्तियों का अंत हो जाता है।
उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को मनेगी:-
मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाएगा। मोक्षदा एकादशी व्रत 22 दिसंबर को होगा। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और दान पुण्य के कार्य किए जाते हैं
26 को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाएगी:-
मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को हर वर्ष दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है। दत्तात्रेय को त्रिदेव अर्थात भगवान ब्रह्माजी, भगवान विष्णु और महादेव का अंश माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा अर्चना और उपवास करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। दत्तात्रेय के पिता महर्षि अत्रि और माता का नाम अनुसूया था।
गणेश चतुर्थी 30 दिसंबर को:-
अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा तिथि के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। भगवान गणेश की कृपा से परिवार के सदस्यों की उन्नति होती है और सुख शांति बनी रहती है।