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दंडात्मक नहीं सुधारात्मक है किशोर न्याय अधिनियम

Update: 2020-07-17 00:45 GMT

ग्वालियर,न.सं.। किशोर न्याय अधिनियम नवीनतम प्रावधान बाल कल्याण समिति, बाल न्यायालय एवं एसजे पीयू पर तीन दिवसीय वेबिनार का आयोजन पुलिस प्रशिक्षण शाला तिघरा में किया गया। कार्यशाला में माधव विधि महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ नीति पांडे ने वेबिनार में पुलिस अधिकारियों को किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के विभिन्न प्रावधानों से अवगत कराया गया। इस दौरान श्रीमती पांडे ने बताया 18 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक व्यक्ति को बालक माना जाना है। यह भी जानकारी दी गई कि यदि कोई विधिक विवादित बालक बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी द्वारा निरूद्ध किया जाता है तो उसे किशोर न्याय परिषद में प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि जोखिमग्रस्त बच्चों को संरक्षण प्रदान करने के लिए कोई भी व्यक्ति चाइल्ड हेल्पलाइन टॉल फ्री नंबर पर चौबीसों घंटे संपर्क कर सकता है। वेबिनार में मुख्यवक्ता के रुप में डॉ. केके दीक्षित, महिला बाल विकास अधिकारी शालीन शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अलाउल्लाह सिद्दकी, विजय कुमार उपमन्यु आदि शामिल थे। 

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