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पिता के आचरण का बच्चे पर असर जरूर दिखता है: मुनिश्री

Update: 2020-05-15 00:30 GMT

ग्वालियर।  बच्चों के निर्माण में पिता का व्यक्तिगत आचरण बहुत महत्व रखता है। बच्चे सहज ही अनुकरणशील होते हैं, वे जैसा पिता को करते देखते हैं, वैसी ही सीख लेते हैं। अत: पिता को अपना रहन-सहन, आचार-विचार और स्वभाव उसके अनुकूल रखना चाहिए, जिस आदर्श में वह अपने बच्चों को ढालना चाहता है। यह विचार राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने गुरुवार को तानसेन नगर में व्यक्त किए।

मुनिश्री ने कहा कि माता के व्यक्तिगत आचरण का प्रभाव कन्याओं पर विशेष रूप से पड़ता है। जो माताएं अधिक साज-सज्जा, शृंगार और गहनों में रुचि रखती हैं उनकी कन्याएं भी विलासप्रियता की शिकार बन जाती हैं और उनके स्वभाव में भी विवाद, असहयोग और कलह के अंकुर उग आते हैं। माता- पिता को चाहिए कि परिवार के सारे सदस्यों तथा व्यक्तियों से यथायोग्य प्रेम और आदर का व्यवहार करें 

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