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एससी एसटी के मामले में हाई कोर्ट ने दी राहत, तीन लोगों की गिरफ्तारी पर लगाई रोक

हाईकोर्ट ने धारा 482 के तहत दी अंतरिम राहत, एससी एसटी एक्ट में संशोधन के बाद संभवतः ये देश के पहला मामला

Update: 2018-10-01 10:30 GMT
ग्वालियर। एससी एसटी एक्ट में संशोधन के बाद पहली बार किसी आरोपी को इस मामले में कोर्ट ने राहत प्रदान की है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता तीन लोगों को राहत प्रदान करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। मामला मुरैना जिले के सिहोनिया थाना क्षेत्र का है जहां लगभग 2 महीने पहले हुए एक विवाद में तीन लोगों के खिलाफ एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति की शिकायत पर से पुलिस ने एससी एसटी एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। जानकारी के अनुसार इंदर सिंह, मनीष सिंह और अरविंद राठौर के खेत में मिट्टी खोदने को लेकर एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति के साथ विवाद हुआ था जिसके बाद अनुसूचित जाति के व्यक्ति ने तीनों के विरुद्द पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत पर पुलिस ने तीनों आरोपियों के विरुद्ध दलित उत्पीड़न और मारपीट का मामला दर्ज किया था। उल्लेखनीय है कि एससी एसटी एक्ट में संशोधन के बाद धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत देने का प्रावधान नहीं है। लेकिन सीआरपीसी की धारा 482 के बारे में इस संशोधन में कोई जिक्र नहीं किया गया है। उच्च न्यायालय को इस धारा के तहत याचिका दायर करने वाले को राहत देने का अधिकार है। ऐसा अभिभाषक का मानना है। उन्होंने सीआरपीसी 482 के तहत अपने पक्षकार के विरुद्ध लगे मामले को खारिज करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर पिछले महीने 10 सितंबर को सुनवाई हुई थी ।बहस को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पर अब हाईकोर्ट ने आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई है। लेकिन विवेचना जारी रखने के निर्देश दिए हैं ।हाई कोर्ट का कहना है कि जब तक जरूरी ना हो तब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की जाए। एससी एसटी एक्ट में संशोधन के बाद यह देश का संभवतः पहला मामला है। जिसमें आरोपियों को धारा 482 के तहत हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत प्रदान की है ।

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