आरक्षक भर्ती परीक्षा के दो आरोपियों को चार-चार वर्ष का कारावास
व्यापम द्वारा आरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 में धोखाधड़ी कर फर्जी परीक्षार्थी के जरिए परीक्षा दिलाने के मामले में दो आरोपियों को विशेष न्यायालय ने चार-चार वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।
ग्वालियर। व्यापम द्वारा आरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 में धोखाधड़ी कर फर्जी परीक्षार्थी के जरिए परीक्षा दिलाने के मामले में दो आरोपियों को विशेष न्यायालय ने चार-चार वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। जबकि दो आरोपियों को संदेह के लाभ में बरी कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक 30 सितंबर 2012 को व्यापम द्वारा आयोजित आरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 के तहत लक्ष्मीबाई स्मारक हायर सेकेंडरी स्कूल जनकगंज में गौरव सिंह के स्थान पर योगेश कुमार ने धोखाधड़ी कर परीक्षा दी। अनुक्रमांक 265799 पर बैठे योगेश के हस्ताक्षर एवं फोटो का मिलान किया गया तब वह संदिग्ध पाया गया। इस पर केंद्राध्यक्ष सुरेश चंद्र त्रिपाठी, प्रेक्षक मंजू कुमारी एवं राजेश श्रीवास्तव उसे प्राचार्य कक्ष में लेकर पूछताछ करने लगे।
इसी बीच टॉयलेट का बहाना कर वह दीवार लांघकर भाग खड़ा हुआ। बाद में केंद्राध्यक्ष सुरेश चंद्र त्रिपाठी ने जनकगंज थाना पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई। जिस पर पुलिस ने अपराध क्रमांक 590/ 2012 पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला पंजीबद किया। इस मामले में योगेश कुमार पुत्र राधेश्याम, गौरव सिंह पुत्र जितेंद्र सिंह, विष्णु कुमार उर्फ भोला पुत्र रामवीर एवं ललितेश कुमार पुत्र गजेंद्र को आरोपी बनाया गया। विशेष न्यायालय ने गौरव सिंह एवं योगेश कुमार को दोषसिद्ध पाते हुए चार चार वर्ष के कारावास एवं अर्थ दंड से दंडित किया है। वहीं संदेह के लाभ में विष्णु कुमार एवं ललितेश कुमार को बरी कर दिया गया।