तापमान गिरने से बढ़ी पटरियों के बीच की दूरी, रात्रि गश्त बढ़ाई
रात दस बजे से सुबह छह बजे तक पटरियों नजर रख रहे है गैंगमेन
ग्वालियर,न.सं.। तेजी से गिरते तापमान ने रेलवे ट्रैक पर भी असर डाला है। ठंड से पटरियों के बीच की गैप बढ़ गई है, इससे हादसे की आशंका बढ़ गई है। पटरियों की यह दूरी यात्रियों के जान-माल के लिए घातक न बन जाए इसलिए इंजीनियरिंग अमले ने ट्रैक पर गश्त बढ़ा दी है। सर्दी, गर्मी या बारिश हो सभी मौसम में ट्रैक मेंटेनेंस का अपना-अलग तरीका है। इंजीनियरिंग विभाग का अमला इन दिनों मौसम ज्यादा ठंडा होने से ज्यादा ध्यान दे रहा है। ठंड के कारण पटरियों के बीच की गैप हादसे की वजह न बन जाए इसलिए गैंगमैनों को इंजीनियरिंग विभाग ने कड़े निर्देश जारी किए हैं। गैंगमैनों को सामान्य से ज्यादा ध्यान रखने के निर्देश दिए गए है। अधिकारी व इंजीनियर भी ट्रैक पर रोज दौरा कर रहे है।
पटरियों पर विशेष निगरानी के निर्देश
ठंड बढ़ते ही पटरियों पर रेलवे अधिकारियों पेट्रोलिंग बढ़ाने को कहा गया है। खासकर रात दस बजे से सुबह छह बजे तक पटरियों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए है। पटरियों के रखरखाव के लिए तैनात गैंग मैन को काम में किसी तरह से कोताही नहीं बरतने का निर्देश दिया गया है।
सर्दी में सिकुड़ती है रेल पटरी
रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए जमीन के ऊपर गिट्टी की परत और उस कांक्रीट के स्लीपर रखे जाते हैं। इनके साइड में लोहे की बनी रेल के 20 मीटर लंबे टुकड़े होते हैं। इन पटरियों को जोडऩे (लंबाई में) के लिए दो पटरियों के बीच 10 एमएम तक का गैप रखा जाता है ताकि गर्मी में पटरियां फैलने के लिए थोड़ा स्थान मिले। पटरियों को वेल्डिंग और बोल्ट के जरिए जोड़ा जाता है। पटरियां ठंड में सिकुड़ती हैं और गर्मियों में फैलती हैं। यह सिकुडऩ व फैलाव हादसे की वजह बन सकती है। इसलिए इंजीनियरिंग विभाग द्वारा निरंतर पेट्रोलिंग की जाती है। गैप ज्यादा होने की स्थिति में ज्वाइंट टूटने की आशंका रहती है। इसलिए गैप मेंटेन करने के साथ ही निरंतर निरीक्षण भी करना पड़ता है।
इसलिए जरूरी है सतर्कता
-गैप बढऩे से तेज रफ्तार ट्रेनों के पटरी से उतरने का खतरा होता है।
-गैप अधिक होने से पटरियों की भार ढोने की क्षमता प्रभावित होती है।
-गैप बढऩे से पटरियों को जोडऩे में उपयोग होने वाले नट-बोल्ट ढीले हो जाते हैं।